Tuesday, November 05, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. दिल्ली
  3. अरविंद केजरीवाल की जमानत पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई, जानें किसने क्या कहा

अरविंद केजरीवाल की जमानत पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई, जानें किसने क्या कहा

दिल्ली हाई कोर्ट में अरविंद केजरीवाल की जमानत को लेकर सुनवाई हो रही है। केजरीवाल की तरफ से उनके वकील अभिषेक मनु सिंघवी, एन हरिहरन और विक्रम चौधरी कोर्ट में मौजूद हैं।

Reported By : Atul Bhatia Edited By : Rituraj Tripathi Updated on: July 17, 2024 15:09 IST
Arvind Kejriwal- India TV Hindi
Image Source : FILE अरविंद केजरीवाल

नई दिल्ली: सीएम अरविंद केजरीवाल की जमानत पर थोड़ी देर बाद फैसला आने वाला है। दिल्ली हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चल रही है। केजरीवाल की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी उनका पक्ष रख रहे हैं। अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि केजरीवाल के पक्ष में अब तक 3 रिलीज ऑर्डर हैं।

दिल्ली हाई कोर्ट में केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी, एन हरिहरन और विक्रम चौधरी मौजूद हैं। सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) डीपी सिंह भी कोर्ट में मौजूद हैं।

केजरीवाल के वकील ने कोर्ट में क्या कहा?

अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ये इंसोरेंस गिरफ्तारी है। सीबीआई के पास अरविंद के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। सीबीआई को ये लगा कि ED के मामले में अरविंद जेल से बाहर आ सकते हैं, इसलिए इसे इंसोरेंस गिरफ्तारी कह रहा हूं।

सिंघवी ने कहा कि आज मैं सीबीआई के मामले में जमानत की मांग कर रहा हूं। जबकि ये PMLA का भी मामला नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के दो आदेश ये बताते हैं कि अरविंद को रिहा होना चाहिए। अरविंद रिहा होने के हकदार हैं। अरविंद के देश छोड़ कर जाने का खतरा नहीं है।

सिंघवी ने कहा कि दो साल पहले सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की थी। 14 अप्रैल 2023 को मुझे समन मिला। लेकिन वो गवाह के तौर पर था। 16 अप्रैल 2023 के दिन 9 घंटे तक मुझसे पूछताछ हुई थी।

सिंघवी ने कहा कि 21 मार्च 2024 से पहले सीबीआई ने केजरीवाल को कभी नहीं बुलाया। उसके बाद मुझे ED ने गिरफ़्तार किया। ये रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामला है क्योंकि मेरे खिलाफ सीबीआई ने एक साल तक कुछ नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट ने मुझे जमानत दी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक मैं 2 जून को वापस तिहाड़ जेल गया। इस मामले में सीबीआई ने जो गिरफ्तारी की, उसका कोई आधार नहीं है। ED मामले में मुझे निचली अदालत ने जमानत दी। उस समय मुझे वेकेशन जज के समक्ष पेश किया गया था। 26 जून को सीबीआई एक्टिव हुई और केजरीवाल की गिरफ्तारी हुई।

सिंघवी ने कहा कि हालांकि ED मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुझे अंतरिम जमानत दी। लेकिन इस इंसोरेंस अरेस्ट की वजह से बाहर नहीं आ पाया। ये किसी भी तरह से केजरीवाल को जेल में रखना चाहते हैं। 2 साल के बाद अचानक अरविंद को गिरफ्तारी हो जाती है। सीबीआई ये नहीं बता पाई कि आखिर गिरफ्तारी क्यों की गई। तारीखें इस बात का बयान देती हैं कि गिरफ्तारी की कोई जरूरत नहीं थी। ये केवल इंसोरेंस अरेस्ट था। सीबीआई ने जून तक मुझसे पूछताछ करने के बारे में नहीं सोचा और अचानक गिरफ्तार कर लिया। चाहे किसी भी तरह से, CBI चाहती है कि केजरीवाल जेल में ही रहें। इस मामले में कानून के नियमों का उलंघन हुआ है। अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री हैं, कोई आतंकवादी नहीं कि उन्हें जमानत न मिले। ED के मामले में निचली अदालत ने मुझे नियमित जमानत दी थी। कुछ दिनों से इमरान खान लगातार बरी हो रहे थे, लेकिन बार-बार अलग-अलग मामले में उन्हें जेल में डाला गया। लेकिन ये हमारे देश में नहीं हो सकता।

सिंघवी ने कहा कि सीबीआई ने अपनी अर्जी में गिरफ्तारी का कोई आधार नहीं दिया। केवल कहा कि मुझे गिरफ्तार करना है। एक भी आधार नहीं बताए गए कि आखिर गिरफ्तारी क्यों की जा रही है। मुझे बिना सुने 25 जून को सीबीआई की अर्जी को मंजूरी मिल गई और मुझे गिरफ्तार किया गया। सीबीआई ने ये नहीं बताया कि केजरीवाल की गिरफ्तारी की क्यों जरूरत है। बिना नोटिस के इस मामले मुझे गिरफ्तार किया गया। 25 जून को अरविंद से सिर्फ 3 घंटे की पूछताछ हुई। इस केस में मेरी गिरफ्तारी संविधान के आर्टिकल 14, 21, 22 के तहत मिले मूल अधिकारों का हनन है। यहां CBI ने उनसे पहले पूछताछ के लिए ट्रायल कोर्ट में अर्जी लगाई, लेकिन  केजरीवाल को ट्रायल कोर्ट ने नोटिस जारी करना भी जरूरी नहीं समझा। 

गिरफ्तारी के लिए CBI ने ट्रायल कोर्ट को सिर्फ एक वजह बताई कि मैं उनके सवालों के संतोषजनक जवाब नहीं दे रहा था। क्या जांच एजेंसी के मनमाफिक जवाब न देने के लिए मेरी गिरफ्तारी हो सकती है! ये अपने आप में कैसे आधार हो सकता है! ट्रायल कोर्ट का मेरी गिरफ्तारी की इजाज़त का आदेश देना ग़लत है। पिछले दिनों ही जस्टिस संजीव खन्ना ने अपने आदेश में कहा है कि सिर्फ पूछताछ ही गिरफ्तारी का आधार नहीं हो सकती।

सीबीआई ने क्या दलील दी?

  • सीबीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट में हलफनामा दायर अरविंद केजरीवाल की जमानत का विरोध किया।
  • सीबीआई ने अरविंद की याचिका को खारिज करने की मांग की।
  • सीबीआई ने कहा याचिकाकर्ता ने मामले में आगे की प्रगति को रोकने के लिए कानून की जटिलताओं का दुरुपयोग करके न्यायालय को गुमराह करने का प्रयास किया है।
  • याचिकाकर्ता ने निचली अदालत  से संपर्क किए बिना, जमानत देने के लिए सीआरपीसी की धारा 439 का इस्तेमाल करते हुए न्यायालय का रुख किया।
  • नियमित जमानत देने के लिए विशेष न्यायाधीश यानी सत्र न्यायालय का रुख करना चाहिए था।
  • सीबीआई ने कहा गिरफ्तारी सहित जांच, जांच एजेंसी का एकमात्र क्षेत्र है।
  • और क्या आरोपी ने प्रश्नों का संतोषजनक उत्तर दिया है या टालमटोल कर रहा है, यह पूरी तरह से जांच एजेंसी के क्षेत्र में है। 
  • याचिकाकर्ता द्वारा मामले को सनसनीखेज बनाने का प्रयास दुर्भाग्यपूर्ण है।
  • जब मामले की अन्य सभी परिस्थितियों की जांच की गई, तभी सीबीआई ने याचिकाकर्ता की हिरासत की मांग की।
  • इसके अलावा, 23.04.2024 को ही याचिकाकर्ता की भूमिका की जांच करने के लिए धारा 17-ए पीसी अधिनियम के तहत अनुमति दी गई थी।
  • आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक के खिलाफ जांच, जांच को तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए आवश्यक थी। चूँकि वह न्यायिक हिरासत में थे, इसलिए अदालत की अनुमति के बिना उसकी उपस्थिति सुनिश्चित नहीं की जा सकती थी।
  • याचिकाकर्ता दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 के निर्माण और कार्यान्वयन में आपराधिक साजिश में अपनी भूमिका पर विचार करते हुए समानता का हकदार नहीं है, विशेष रूप से तब जब सरकार और पार्टी के कोई भी या सभी निर्णय केवल उसके अनुसार लिए गए हों।
  • उन्होंने अन्य आरोपी व्यक्तियों के साथ मिलकर, जानबूझकर उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 में बदलाव और हेराफेरी की और इस तरह थोक विक्रेताओं के लाभ मार्जिन को बिना किसी कारण के 5% से बढ़ाकर 12% कर दिया, जिससे थोक विक्रेताओं को अनुचित अप्रत्याशित लाभ हुआ। 
  • गोवा में आम आदमी पार्टी के चुनाव संबंधी खर्चों को पूरा करने के लिए साउथ ग्रुप से 100 करोड़ रुपये की अवैध रिश्वत मिली थी।
  • उनका मजबूत प्रभाव और दबदबा उन्हें ऐसे सह-अभियुक्तों से बराबरी का अधिकार नहीं देता है। 
  • संपूर्णता के लिए, मामले में विभिन्न प्रभावशाली सह-अभियुक्त अभी भी हिरासत में हैं, जिनमें आरोपी मनीष सिसौदिया और के कविता भी शामिल हैं। 
  • याचिकाकर्ता पर गंभीर आर्थिक अपराध करने का आरोप है, जिसे एक वर्ग से अलग माना जाना चाहिए। 
  • जबकि व्यक्तिगत स्वतंत्रता सर्वोपरि है, यह पूर्ण नहीं है बल्कि राज्य और जनता के हित सहित उचित प्रतिबंधों के अधीन है।

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें दिल्ली सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement