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प्रदूषण विज्ञापनों पर खर्च कर दिया पर्यावरण मुआवजा शुल्क का पैसा? BJP ने दिल्ली सरकार से पूछा

दिल्ली में रहने वाले लोग इस साल फिर प्रदूषण की समस्या से जुझ रहे है। ऐसे में इतने सालों में इस समस्या का समाधान अब तक क्यो नही हो पाया इसे लेकर दिल्ली और इस संबंध में जो भी जिम्मेदार है उनसे सवाल पूछे जाने चाहिए।

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: November 15, 2021 16:16 IST
BJP का दिल्ली सरकार पर हमला, कहा- प्रदूषण विज्ञापनों पर 940 करोड़ किए खर्च, मगर निपटने के लिए कुछ नह- India TV Hindi
Image Source : @AMITMALVIYA/PTI BJP का दिल्ली सरकार पर हमला, कहा- प्रदूषण विज्ञापनों पर 940 करोड़ किए खर्च, मगर निपटने के लिए कुछ नहीं किया

नई दिल्ली: दिल्ली में रहने वाले लोग इस साल फिर प्रदूषण की समस्या से जुझ रहे है। ऐसे में इतने सालों में इस समस्या का समाधान अब तक क्यो नही हो पाया इसे लेकर दिल्ली और इस संबंध में जो भी जिम्मेदार है उनसे सवाल पूछे जाने चाहिए। इसे लेकर बीजेपी आईटी सेल के प्रभारी अमित मालवीय ने दिल्ली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले 7 सालों में सीएम केजरीवाल ने प्रदूषण विज्ञापनों पर 940 करोड़ रुपये खर्च किए, मगर प्रदूषण से छुटकारा पाने के लिए कुछ नहीं किया। उन्होनें कहा कि ऑडिट का समय अब है। 19 सितंबर 2021 को एक आरटीआई के जवाब में दिल्ली सरकार ने पर्यावरण मुआवजा शुल्क के लिए 1286.93 करोड़ (2015 से अब तक) की राशि एकत्र करना स्वीकार किया। 29 जुलाई 2021 को विधानसभा में दिए गए जवाब में यह राशि 1439.65 करोड़ थी। यह धन कहां चला गया? विज्ञापन?

‘आप’ सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा- वायु प्रदूषण को काबू करने के लिए पूर्ण लॉकडाउन के लिए तैयार

दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु प्रदूषण संबंधी मामले पर सुनवाई शुरू होने से पहले ‘आम आदमी पार्टी’ (आप) सरकार ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि वह वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के मकसद से पूर्ण लॉकडाडन जैसे कदम उठाने के लिए तैयार है। दिल्ली सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा कि इस प्रकार का कदम तभी अर्थपूर्ण साबित होगा, यदि इसे पड़ोसी राज्यों के एनसीआर इलाकों में भी लागू किया जाता है। 

दिल्ली सरकार ने एक शपथ पत्र में कहा, ‘‘जीएनसीटीडी (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार) स्थानीय उत्सर्जन को काबू करने के लिए पूर्ण लॉकडाउन जैसे कदम उठाने के लिए तैयार है। बहरहाल, यह कदम तभी अर्थपूर्ण साबित होगा, यदि इसे पड़ोसी राज्यों के एनसीआर इलाकों में भी लागू किया जाता है।’’ उसने कहा, ‘‘इस मुद्दे को एनसीआर क्षेत्रों से जुड़े एयरशेड (वातावरण का वह हिस्सा, जो उत्सर्जन के फैलने के हिसाब से व्यवहार करता है) के स्तर पर सुलझाने की आवश्यकता है। इसके मद्देनजर यदि भारत सरकार या राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और निकटवर्ती क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग पूरे एनसीआर क्षेत्र के लिए इसका आदेश देता है, तो हम इस कदम पर विचार करने के लिए तैयार हैं।’’ 

पर्यावरण कार्यकर्ता आदित्य दुबे और विधि छात्र अमन बांका ने याचिका दायर कर छोटे और सीमांत किसानों को पराली समाप्त करने वाली मशीनें नि:शुल्क मुहैया करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है, जिसके जवाब में आप सरकार ने यह शपथपत्र दाखिल किया। न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी को शनिवार को ‘आपात’ स्थिति करार दिया और राष्ट्रीय राजधानी में लॉकडाउन लागू करने का सुझाव दिया। न्यायालय ने केंद्र एवं दिल्ली सरकार से कहा कि वे वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए आपात कदम उठाएं। 

न्यायालय ने कहा था कि प्रदूषण की स्थिति इतनी खराब है कि लोग अपने घरों के भीतर मास्क पहन रहे हैं। पीठ ने कहा था कि वायु प्रदूषण के लिये सिर्फ पराली जलाए जाने को वजह बताना सही नहीं है, इसके लिए वाहनों से होने वाला उत्सर्जन, पटाखे और धूल जैसे अन्य कारक भी जिम्मेदार हैं। न्यायालय ने इस बात पर चिंता जताई थी कि राष्ट्रीय राजधानी में स्कूल खुल गए हैं और बच्चों को गंभीर प्रदूषण के बीच बाहर निकलना पड़ रहा है।

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