Friday, November 22, 2024
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Akshardham Temple: अक्षरधाम मंदिर में धूमधाम से मनाया गया शरद पूर्णिमा का उत्सव

Akshardham Temple:अक्षरधाम मंदिर में शरदपूर्णिमा उत्सव का कार्यक्रम पारंपरिक श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। इस मौके पर भजन कीर्तन और नृत्य की मनोहारी प्रस्तुतियां दी गईं। इस दौरान श्रद्धालुओं ने प्रेरक प्रवचन का लाभ भी लिया। इस दौरान पूज्य महंतस्वामी महाराज ने कहा कि 'सत्संग से ही समाधान' है।

Edited By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Updated on: October 10, 2022 14:18 IST
Akshardham Temple Programme- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Akshardham Temple Programme

Highlights

  • हजारों श्रद्धालुओं ने लिया हिस्सा
  • 'सत्संग से ही समाधान': परम पूज्य महंतस्वामी महाराज
  • भजन कीर्तन के साथ हुआ कार्यक्रम का शुभारंभ

Akshardham Temple: विश्वप्रसिद्ध अक्षरधाम मंदिर में गुरुहरि महंतस्वामी महाराज के प्रत्यक्ष सान्निध्य में शरद पूर्णिमा का उत्सव बड़ी दिव्यता और भव्यता के साथ मनाया गया।  इस अवसर पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु भक्तजन उपस्थित थे। भारतीय सनातन संस्कृति में शरद पूर्णिमा का दिन बहुत महत्त्वपूर्ण माना जाता है। भगवान स्वामिनारायण के आध्यात्मिक अनुगामी और अक्षरधाम संस्थान (BAPS) के आदि गुरु गुणातीतानंद स्वामी के प्राकट्य के रूप में यह उत्सव पूरे विश्व में बड़े उल्लास से मनाया जाता है। 

पर्व की यह विशिष्ट सभा गुणातीत संत के जीवन मूल्यों पर आधारित थी। गुणातीत संत के जीवन में अंतर्निहित सेवा, समर्पण, संयम, सुहृदय भाव तथा सत्संग जैसे मूल्य सदा से ही प्रेरणा स्रोत रहे हैं। उन्होंने इन मूल्यों को समाज जीवन में दृढ़ करवाने का अभूतपूर्व कार्य किया है। अक्षरधाम के निर्माता परम पूज्य प्रमुखस्वामी महाराज ने अखिल विश्व में 1000 से भी अधिक मंदिरों का निर्माण करके इन मूल्यों को जनसाधारण में आत्मसात् करवाया था। 

प्रभुनाम स्मरण और भजन कीर्तन के साथ हुआ कार्यक्रम का शुभारंभ

वर्तमान में परम पूज्य महंतस्वामी महाराज भी BAPS संस्था की 152 प्रवृत्तियों के माध्यम से यह समाज निर्माण का कार्य कर रहे हैं। शरद पूर्णिमा पर्व की इस विशिष्ट सभा का शुभारंभ शाम 6 बजे प्रभुनाम के स्मरण तथा भजन-कीर्तन से हुआ। पूज्य मुनिवसल स्वामी तथा अक्षरवसल स्वामी ने शरद पूर्णिमा की महिमा एवं अक्षरब्रह्म गुणातीतानंद स्वामी के प्राकट्य की ऐतिहासिक घड़ियों को सभा के समक्ष साझा किया।  पूज्य आत्मस्वरूप स्वामी ने अपने प्रवचन में प्रमुखस्वामी महाराज द्वारा तैयार किए संयमित युवाओं के प्रसंगों का वर्णन किया। 

श्रद्धालुओं ने लिया प्रासंगिक उद्बोधन का लाभ

सद्गुरु परम पूज्य विवेकसागर स्वामीजी ने जनमानस में सौहार्दभाव के प्रवर्तक तथा पारिवारिक मूल्यों के पोषक प्रमुखस्वामी महाराज के प्रसंगों के साथ अनुभव सिद्ध व्याख्यान दिया। सद्गुरु परम पूज्य ईश्वरचरण स्वामी जी ने ‘भक्ति के प्रेरक प्रमुखस्वामी जी महाराज’ इस विषय पर प्रासंगिक उद्बोधन दिया। अंत में दिल्ली सत्संग मंडल के बाल एवं युवा सदस्यों ने शताब्दी वंदना नृत्य की प्रस्तुति की। 

विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रंगारंग प्रस्तुति

पूरे सभा कार्यक्रम के अंतर्गत भक्ति कीर्तन एवं विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों के  मध्य पाँच बार आरती का अर्घ्य दिया गया। सभा के अंत में परम पूज्य महंतस्वामी जी महाराज ने अपने आशीर्वाद में बताया कि “यह हमारा सौभाग्य है कि आज के दिन अक्षरब्रह्म गुणातीतानंद स्वामी का प्राकट्य हुआ। अक्षर ब्रह्म के प्राकट्य का मूल हेतु तो मोक्ष का प्रदान करना है। भगवान एवं संत इस पृथ्वी पर अवतीर्ण होकर जन-जन को मोक्षगामी करते हैं।  उनके सत्संग से हमारे जीवन में भी शांति, समाधान और आनंद की प्राप्ति होती है।

 

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