नई दिल्ली: अपेक्षाकृत धीमी हवाएं चलने और पंजाब में पराली जलाए जाने के मामले बढ़ने के बीच वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में आ जाने के कारण दिल्ली में मंगलवार को धुंध और धुएं की परत छाई रही। दिल्ली में 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 424 दर्ज किया गया। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ की उपग्रह से ली गई तस्वीरों में कई लाल निशान दिख रहे हैं, जो पंजाब और हरियाणा के कुछ हिस्सों में पराली जलाए जाने के मामलों को दर्शाते हैं। पूर्वी पाकिस्तान से पूर्वी उत्तर प्रदेश तक सिंधु-गंगा के मैदानों के विशाल क्षेत्रों में धुंध की एक परत दिखाई दे रही है।
400 से ऊपर AQI को "गंभीर" माना जाता है
दिल्ली का 24 घंटे का AQI मंगलवार शाम 4 बजे 424 था, जो पिछले साल 26 दिसंबर के बाद सबसे खराब था, जब यह 459 था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के मुताबिक, 2 जनवरी (एक्यूआई 404) के बाद इस साल दिल्ली में यह दूसरा 'गंभीर' वायु गुणवत्ता दिवस है। 400 से ऊपर एक्यूआई को "गंभीर" माना जाता है और यह स्वस्थ लोगों को प्रभावित कर सकता है और पहले से बीमार व्यक्तियों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति संस्थान (EPIC) द्वारा जून में जारी वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (AQLI) के अनुसार, खराब वायु गुणवत्ता के कारण दिल्लीवासियों की जीवन प्रत्याशा 10 साल कम होने की आशंका है। बुराड़ी क्रॉसिंग (एक्यूआई 477), बवाना (465), वजीरपुर (467), नरेला (465), विवेक विहार (457), रोहिणी (462), जहांगीरपुरी (475), सोनिया विहार (469) और अशोक विहार (465) में वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में रही। सीपीसीबी के अनुसार, कई क्षेत्रों में पीएम 2.5 यानी फेफड़ों को नुकसान पंहुचा सकने वाले सूक्ष्म कणों की सांद्रता 450 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक रही, जो 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित सीमा से लगभग आठ गुना अधिक है। 61 से 120 तक पीएम 2.5 का स्तर "मध्यम से खराब", 121 से 250 को "बहुत खराब", 251 से 350 को "गंभीर" और 350 से अधिक को "गंभीर प्लस" माना जाता है।
पराली जलाने से 14 फीसदी प्रदूषण
केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत आने वाली पूर्वानुमान एजेंसी वायु गुणवत्ता मौसम पूर्वानुमान एवं अनुसंधान प्रणाली (सफर) के अनुसार, खेतों में पराली जलाने से दिल्ली में पीएम2.5 प्रदूषण में हिस्सेदारी मंगलवार को 14 फीसदी रही। सोमवार को यह 22 फीसदी, रविवार को 26 फीसदी था जो इस साल अब तक का सर्वाधिक आंकड़ा था। शनिवार को यह 21 फीसदी था। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) ने मंगलवार को पंजाब में खेतों में 1,842 जगहों पर पराली जलाने और सोमवार को 2,131 जगहों पर पराली जलाने की सूचना दी।
15 सितंबर से पराली जलाने के कुल 17,846 मामले आए सामने
पंजाब में 15 सितंबर से खेतों में पराली जलाने के कुल 17,846 मामले सामने आए हैं। दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए 2021 में गठित एक वैधानिक निकाय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने पिछले हफ्ते कहा था कि पंजाब में इस साल पराली जलाने की बढ़ती घटनाएं "गंभीर चिंता का विषय" हैं। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने मंगलवार को दोहराया कि पंजाब में पराली जलाने में बड़ी कमी देखी गई होती यदि केंद्र ने राज्य सरकार की किसानों को पराली नहीं जलाने के लिए नकद प्रोत्साहन प्रदान करने के "मेगा योजना" का समर्थन किया होता।