नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण का कहर कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। दिवाली से पहले ही दिल्ली की हवा का AQI कई इलाकों में 300 के पास चला गया है। सरकार और जिम्मेदार संस्थाओं के प्रदूषण से जंग के तमाम दावे धुंए की चादर में लिपटे हुए नजर आ रहे हैं। दिल्ली की हवा में जहर घुल चुका है, जिससे सांस लेना दूभर है। नेशनल एयर क्वालिटी इंडेक्स के मुताबिक आज सुबह आनंद विहार और शादीपुर डिपो इलाके में एक्यूआई बहुत खराब दर्ज किया गया। वहीं अगर दिल्ली के औसतन AQI की बात करें तो वायु प्रदूषण का मीटर 249 पर पहुंच गया है।
आनंद विहार में पीएम 2.5 का स्तर सबसे ज्यादा यानी 323 दर्ज किया गया है। इसके अलावा शादीपुर डिपो इलाके में 301, जहांगीरपुरी में 289, मुंडका में 289, आरके पुरम में 286, बवाना में 281, द्वारका सेक्टर आठ 280, एनएसआईटी द्वारका 278, आईजीआई एयरपोर्ट 267, रोहिणी 266, पटपड़गंज 249, अलीपुर 215 दर्ज किया गया।
एजेंसियों से प्रदूषण से जुड़ा डाटा मिलना ही बंद
वहीं दिल्ली में वायु प्रदूषण के बढ़ते बीच कई एजेंसियों ने इससे प्रदूषण से जुड़ा डाटा देना ही बंद कर दिया है। जानकारी के अनुसार, दिल्ली सरकार और राज्य के अधिकारियों के बीच चल रही लड़ाई के कारण आईआईटी-कानपुर की ओर से वास्तविक समय स्रोत विभाजन अध्ययन 18 अक्टूबर से रुका हुआ है। उधर, केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत दो अन्य एजेंसियों ने भी प्रदूषण के स्रोतों पर जानकारी साझा करना बंद कर दिया है।
रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ अभियान शुरू
वहीं राजधानी दिल्ली में प्रदूषण से निजात दिलाने के लिए रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ अभियान बृहस्पतिवार को आईटीओ चौराहे से शुरू हो गया, लेकिन इससे कितना फायदा होगा यह अभी भी एक बड़ा सवाल है। इस बार अभियान जनता की भागीदारी से चलेगा। 28 को बाराखंभा व 30 अक्तूबर को चंदगीराम अखाड़ा चौराहा और दो नवंबर को सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में इसे चलाया जाएगा।
सरकार को प्रदूषण का कारक मालूम ही नहीं
राजधानी में अक्टूबर महीने में ठंड की दस्तक शुरू हो जाती है। इसके साथ ही प्रदूषण भी अपना असर दिखाना शुरू कर देता है। यह हर साल की कहानी है, लेकिन दिल्ली सरकार को यह मालूम ही नहीं है कि इस प्रदूषण का कारक क्या है। इस विषय पर दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने बुधवार को कहा कि सरकार के पास प्रदूषण के कारक का कोई ठोस ज्ञान नहीं है। उन्होंने कहा कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने दिल्ली सरकार की कैबिनेट के एक फैसले को बदल दिया और इस वजह से सरकार के पास इससे जुड़े कोई आंकड़े ही नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जब तक हमारे पास इससे जुड़े आंकड़े ही नहीं होंगे तो हम इस पर नीति कैसे बनाएंगे।