नयी दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में शुक्रवार को कोरोना संक्रमण की दर घटकर 0.09 प्रतिशत हो गयी। यहां पिछले 24 घंटों में कोविड-19 से एक मरीज की मौत हुई और 66 नये मामले सामने आए। दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग के बुलेटिन के मुताबिक एक मरीज की मौत होने से मृतकों की तादाद 25,023 पर पहुंच गयी। राष्ट्रीय राजधानी में बृहस्पतिवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 72 नये मामले सामने आए थे तथा एक और मरीज की मौत हुई थी। बुलेटिन के मुताबिक संक्रमण के 66 नये मामलों के साथ दिल्ली में कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 14,35,419 हो गयी है। राजधानी में अब तक 14 लाख से अधिक लोग इस जानलेवा वायरस के संक्रमण को मात दे चुके हैं।
बुलेटिन के मुताबिक कोविड-19 के उपचाराधीन मरीजों की संख्या घटकर 657 हो गयी है। बीते 24 घंटे में राजधानी में 76,459 नमूनों की कोविड-19 जांच की गयी। बुधवार को दिल्ली में संक्रमण के 77 मामले सामने आए थे तथा एक मरीज की मौत हुई थी जबकि मंगलवार को 76 नये मामलों के अलावा दो मरीजों की इस महामारी से मौत हुई थी।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में 16 फरवरी को संक्रमण के 94 नये मामले सामने आये थे जबकि 27 जनवरी को यह संख्या 96 थी। बता दें कि दिल्ली में एक समय अप्रैल के महीने में संक्रमण की दर 36 प्रतिशत तक पहुंच गयी थी, जोकि अब नीचे गिरकर 0.10 प्रतिशत से भी कम हो गयी है।
दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने पिछले शुक्रवार को कोविड-19 की तीसरी संभावित लहर से निपटने के लिए रंग आधारित प्रतिक्रिया कार्य योजना को पारित किया था। प्राधिकरण ने रंग आधारित चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) पारित की जिसके तहत कोविड-19 हालात की गंभीरता के आधार पर पाबंदियां लगायी जाएंगी।
वहीं, एक निजी अस्पताल में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बाद कोविड के दीर्घकालिक लक्षणों के मामले पिछले साल इस अवधि की तुलना में चार गुना बढ़ गए हैं। अस्पताल अधिकारियों ने यह जानकारी दी है। दीर्घकालिक कोविड एक ऐसी स्थिति है जिसमें संक्रमण से उबरने के बाद भी लोगों में उम्मीद से अधिक समय तक संक्रमण के लक्षण दिखते हैं। दिल्ली में अप्रैल-मई में कोरोना वायरस की घातक दूसरी लहर आई थी जिसमें संक्रमण के दैनिक मामलों की संख्या बेहताशा बढ़ गई थी साथ में अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी देखी गई थी।
अपोलो अस्पताल के एक प्रवक्ता ने बताया कि कोविड के लंबे समय तक रहने वाले लक्षणों और संक्रमण से उबरने के बाद की जटिलताओं के मामले अस्पताल में पिछले साल की तुलना में चार गुना बढ़ गए हैं और यह महामारी की दूसरी लहर के बाद हुआ है। अस्पताल अधिकारियों ने बताया कि कोविड की दूसरी लहर, पहली लहर की तुलना में काफी ज्यादा संक्रामक थी।
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