नई दिल्ली. कहते हैं कामयाबी मिलना जितना मुश्किल होता है, उससे ज्यादा मुश्किल होता है उसको बरकरार रखना। ये बात हाल के दिनों में भारतीय रेसलर सुशील कुमार पर एक दम सटीक बैठती है। जिस छत्रसाल स्टेडियम में प्रैक्टिस करते हुए सुशील ने नेशनल से ओलंपिक तक का सफर तय कर दर्जनों मेडल के साथ इनाम में लाखों रुपए कमाए लेकिन वक़्त का पहिया ऐसा घूमा कि 4 और 5 मई की रात को उसी छत्रसाल स्टेडियम में सुशील के द्वारा लड़ी गई आखरी 'खूनी लड़ाई ने सुशील को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया।
लगातार हरियाणा, पंजाब, यूपी में रेड्स के बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की टीम के एसीपी अतर सिंह और इंस्पेक्टर शिव कुमार की टीम ने सुशील और उसके साथी अजय को देर रात दिल्ली के मुंडका इलाके से गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, मृतक रेसलर सागर फरवरी और मार्च के महीने में मॉडल टाउन के सुशील पहलवान की पत्नी के फ्लैट में किराए पर रहता था। जहां पर कुख्यात गैंगस्टर काला जठेड़ी का खास गुर्गे उस फ्लैट में आते जाते रहते थे। जिसकी जानकारी मिलने के बाद सुशील ने सागर से फ्लैट खाली करवा लिया। लेकिन सागर के ऊपर एक महीने का किराया बकाया था, जिसके देने के नाम पर वो अपने दोस्तों से सुशील को लेकर अपशब्द बोलता रहता था। इस बात की जानकारी जब सुशील को लगी तो उसने सागर को सबक सिखाने की ठान ली थी।
गैंगस्टरों की करीबी बन गई जुर्म की रहा पर चलने की वजह...
अब सवाल उठता है कि देश का नाम रोशन करने वाला सुशील आखिर क्यों जुर्म की रहा पर चल निकला? दरअसल सुशील की कामयाबी के बाद हर वर्ग के लोग उसके करीबी बन गए थे उनमें कुछ गैंगस्टर भी थे, जिनका साथ बाकी लोगों से अलग सुशील को अच्छा लगने लगा था। इनमें सबसे बड़ा नाम था मकोका में बंद पूर्व विधायक रामबीर शौकीन, जो नीरज बवानिया का मामा था, जिसके जरिए सुशील पहलवान बहादुरगढ़ के गैंगस्टर राजीव उर्फ काला असौदा के संपर्क में आया था।पुलिस के सूत्रों के मुताबिक, काला जठेड़ी 2 फरवरी 2020 को फरीदाबाद की कोर्ट में पेशी के बाद गुड़गांव पुलिस की कस्टडी से फरार हो गया था। जिसके बाद उसने दिल्ली और हरियाणा के जिन कारोबारियों से काला जठेड़ी गैंग प्रोटेक्शन मनी मांगने का काम कर रहा है। उनमें से कुछ केसों की सुशील ने मांडवाली या यू कहे कि समझौता कराने का काम किया है। पुलिस के सूत्रों का कहना है कि उसका काम करने का तरीका कुछ इस तरह था कि पुलिस की गिरफ्त से फ़रार होने के बाद काला जठेड़ी विदेश से गैंग को ऑपरेट कर रहा था। काला जठेड़ी व्यापारी को धमकी देता और जरूरत पड़ने पर फायरिंग भी करवाता था। इसके बाद डरे-सहमे कारोबारियों से सुशील के लोगों के संपर्क में आते और फिर दोनों के बीच मे समझौते को को अंजाम दिया जाता।
असल झगड़ा ईगो की लड़ाई को लेकर था?
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, असल झगड़ा ईगो की लड़ाई को लेकर था। सागर राणा के ऊपर सुशील की पत्नी के फ्लैट का एक महीने का किराया बकाया था जिसको लेकर वो सागर हमेशा सुशील को लेकर अपशब्द बोलता रहता था। इसी बात से नाराज़ सुशील 4 मई की रात को अपने लोगों के साथ मॉडल टाउन के उस फ्लैट पर पहुंच गया जहां सागर अपने शराब के कारोबार के पार्टनर सोनू महाल के साथ रहता था। सोनू काला जठेड़ी का खास आदमी माना जाता है। अब निजी मनमुटाव दो गैंग की दुश्मनी में बदल गया था।
सुशील और उसके साथी सागर, सोनू समेत उसके साथियों को अपनी गाड़ी में बैठकर छत्रसाल स्टेडियम लेकर आ गए थे। उस वक़्त मौका-ए-वारदात पर सुशील के चाचा का लड़का संदीप, नीरज बवानिया गैंग का दीपा लाडपुरिया और काला असौदा गैंग का प्रिंस दलाल समेत 35-50 लोग रात को छत्रसाल स्टेडियम पहुंच गए। दूसरे पक्ष की तरफ से सागर के अलावा काला जठेड़ी का राइट हैंड सोनू महाल था। सूत्रों का कहना है कि फ्लैट के एक महीने के किराए को लेकर हुए विवाद में सुशील से सागर अकड़ गया। जिसके बाद मारपीट शुरू हो गई।
4 और 5 मई की रात 2 बजे सुशील ने सागर के साथ अपने जीवन की एक आखरी ख़ूनी लड़ाई लड़ी जिसके बाद सागर की अस्पताल मौत हो गई। पुलिस में हत्या का केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी, सबसे पहले पुलिस ने सुशील के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी करवाया और बाद में कोर्ट से उसके खिलाफ गैर ज़मानती वारंट जारी करवा दिए। अपनी गिरफ्तारी से बचने सुशील रोहिणी कोर्ट पहुंचा लेकिन अदालत ने भी सुशील को मायूस करते हुए उसकी अग्रिम ज़मानत की अर्जी को खारिज़ कर दिया और 1 लाख का ईनाम सुशील के ऊपर घोषित कर दिया गया।
जिस अर्जुन अवार्डी और ओलंपिक विजेता की एक झलक पाने के लिए कभी लाखों करोड़ों लोग घंटो इंतज़ार करते थे लेकिन आज वक़्त बदल चुका है सुशील कुमार पुलिस की कस्टडी में है। फिलहाल सुशील कुमार और उसके साथी अजय को स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया है रोहिणी कोर्ट में पेश करके नार्थ वेस्ट डिस्ट्रिक्ट पुलिस इनकी कस्टडी लेकर इनके बाकी के साथियों के बारे में पता लगाएगी।