Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) मुनिराज जी ने मंगलवार को जिला अदालत के हवालात में दुष्कर्म के एक आरोपी को मोबाइल फोन मुहैया कराने के आरोप में दो मुख्य आरक्षी और एक आरक्षी को निलंबित कर दिया। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि तीनों के खिलाफ खिलाफ विभागीय जांच भी बैठा दी गई है। पुलिस अधीक्षक ने कहा कि यह पुलिसवालों के कर्तव्य में लापरवाही को दर्शाता है और इसने पुलिस विभाग की छवि भी खराब की है।
वीडियो वायरल होने के बाद हुई जांच
पुलिस अधीक्षक (SP) इराज राजा ने बताया कि आरोपी विशु तोमर को 21 अक्टूबर को मुकदमे के सिलसिले में अपर जिला न्यायाधीश फास्ट ट्रैक की अदालत में ले जाया गया। वहां उसने किसी तरह पुलिस को अपने दोस्त के साथ इंस्टाग्राम पर वीडियो कॉलिंग के माध्यम से चैट करने के लिए मोबाइल उपलब्ध कराने में कामयाबी हासिल की। चैट का वीडियो पिछले हफ्ते सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। जिसके बाद संज्ञान लेते हुए एक जांच की गई तो बाद में मंगलवार शाम को मुख्य आरक्षी फिरोज मेहंदी एवं ऋषि कुमार और आरक्षी सरफराज अली खान को निलंबित कर दिया गया।
'आरोपियों ने पुलिस विभाग की छवि भी खराब की है'
पुलिस अधीक्षक इराज राजा ने कहा कि यह पुलिसवालों के कर्तव्य में लापरवाही को दर्शाता है और इसने पुलिस विभाग की छवि भी खराब की है। आरोपी पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है और आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाएगा। SP ग्रामीण ने कहा कि इनके खिलाफ विभागीय जांच भी बैठा दी गई है।
बीजेपी नेता को धमकाने के आरोप में निलंबित हुए पुलिसवाले
हाल में भाजपा के एक स्थानीय नेता के घर पर रेड करने के आरोप में चार पुलिस कांस्टेबलों को निलंबित कर दिया गया, जबकि एक थाना प्रभारी एसएचओ को पुलिस लाइन भेज दिया गया। बीजेपी नेता रमेश कुमार पांडे के मुताबिक, पुरकलंदर पुलिस थाने की टीम ने केशवपुर अंजना गांव में उनके आवास पर छापा मारा और उनके घर में तोड़फोड़ की तथा उन्हें हिरासत में लिया और दिवाली से एक दिन पहले की आधी रात को थाने ले आए, हालांकि पुलिस को उनके घर से कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला।
थाने से छूटने के बाद पांडे ने बीजेपी के सीनियर नेताओं को अपनी सारी कहानी सुनाई, लेकिन पीएम के दौरे के चलते उन्हें कुछ देर चुप रहने की सलाह दी गई। उन्होंने दिवाली के बाद फिर से भाजपा नेताओं से संपर्क किया, जिसके बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने शुक्रवार को अयोध्या के SSP प्रशांत वर्मा के संज्ञान में मामला लाया। एसएसपी ने जांच की और पुलिसवाीलों को दोषी पाया।