नई दिल्ली: भारतीय कंपनियों में वित्त वर्ष 2019-20 में इससे पिछले साल की तुलना में यौन उत्पीड़न के अधिक मामले सामने आए हैं। कॉरपोरेट एक्सिलेंस की विशिष्टता अधिकार रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। कॉरपोरेट एक्सिलेंस द्वारा निफ्टी 50 की वार्षिक रिपोर्ट से जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार, 2019-20 में यौन उत्पीड़न रोधक कानून के तहत 678 मामले सामने आए। 2018-19 में यह आंकड़ा 663 का था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019-20 में 678 मामले सामने आए। इनमें से 600 मामलों का निपटान किया गया। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि इनमें से कितने मामलों में यौन उत्पीड़न के आरोप स्थापित हुए और क्या कार्रवाई की गई। रिपोर्ट कहती है कि कार्यस्थल को सुरक्षित बनाने के उद्देश्य के लिए इस मोर्चे पर स्पष्टता की जरूरत है।
दिलचस्प तथ्य यह है कि 2018-19 और 2019-20 में 10 कंपनियों में इस तरह का कोई मामला सामने नहीं आया। इनमें से आठ कंपनियों (दो सार्वजनिक उपक्रमों सहित) में दोनों वित्त वर्ष में इस तरह की कोई शिकायत नहीं आई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोई शिकायत नहीं मिलने से संकेत मिलता है कि या तो इन कंपनियों में कामकाज का माहौल काफी अच्छा है या महिला कर्मचारियों में ऐसे मामलों की जानकारी देने के लिए विश्वास की कमी है। वित्त वर्ष 2018-19 और 2019-20 में किसी एक कंपनी में सबसे अधिक क्रमश: 142 और 125 मामले सामने आए।