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'मां की उम्र की सास के साथ...', दामाद की करतूत सुन भड़का हाईकोर्ट, एक झटके में सुना दिया ऐसा फैसला

हाईकोर्ट ने कहा कि दामाद ने महिला के साथ अपने संबंधों का फायदा उठाया। पीड़िता ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी कि उसका दामाद इस तरह की घिनौनी हरकत कर सकता है और वह जीवन भर इस कलंक को झेलती रहेगी।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Nov 13, 2024 19:13 IST, Updated : Nov 13, 2024 20:37 IST
प्रतीकात्मक तस्वीर
Image Source : FILE PHOTO प्रतीकात्मक तस्वीर

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने सास से दुष्कर्म के दोषी व्यक्ति की सजा बरकरार रखते हुए टिप्पणी की कि यह एक शर्मनाक कृत्य था और पीड़िता दोषी के लिए मां के समान थी। जस्टिस जीए सनप की एकल पीठ ने मंगलवार को अपने फैसले में कहा कि पीड़िता दोषी की मां की उम्र की थी और उसने “उसके नारीत्व को कलंकित किया।” पीठ ने कहा कि पीड़िता ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी कि उसका दामाद इस तरह की घिनौनी हरकत कर सकता है और वह जीवन भर इस कलंक को झेलती रहेगी। उसने कहा, “इस बात का संज्ञान लिया जाता है कि याचिकाकर्ता (दोषी), जो वादी (शिकायतकर्ता पीड़िता) का दामाद है, ने अपनी सास, जो उसकी अपनी मां की उम्र की है, के साथ यह शर्मनाक कृत्य किया। याचिकाकर्ता ने पीड़िता के नारीत्व को कलंकित किया।”

दामाद की करतूत सुन भड़का हाईकोर्ट

पीठ ने कहा, “याचिकाकर्ता ने पीड़िता के साथ अपने संबंधों का फायदा उठाया। पीड़िता ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उसका दामाद उसके साथ ऐसी घिनौनी हरकत करेगा।” पीठ ने याचिकाकर्ता की दोषसिद्धि बरकरार रखते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए सबूत दुष्कर्म के अपराध को साबित करने के लिए पर्याप्त हैं और दोषी को सुनाई गई सजा अपराध की गंभीरता के अनुरूप थी।

जानिए पूरा मामला

दोषी व्यक्ति ने सत्र अदालत के मार्च 2022 के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसके तहत उसे दिसंबर 2018 में अपनी 55 वर्षीय सास के साथ दुष्कर्म का दोषी ठहराते हुए 14 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि उसका दामाद और बेटी अलग हो गए थे, जिसके बाद उसके दोनों नाती अपने पिता के साथ रहते थे। उसने बताया था कि घटना के दिन उसका दामाद उसके घर पहुंचा, उससे झगड़ा किया और कहा कि वह अपनी बेटी को फिर से उससे मिलाने की कोशिश करे।

पत्नी से लड़ने के बाद सास को बनाया हवस का शिकार

शिकायकर्ता के मुताबिक, दामाद के दबाव डालने पर पीड़िता उसके साथ उसके घर जाने को तैयार हो गई, लेकिन रास्ते में आरोपी ने शराब पी और उसके साथ तीन बार रेप किया। पीड़िता ने अपनी बेटी को कथित घटना के बारे में बताया और फिर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। दोषी व्यक्ति ने अपनी याचिका में दावा किया कि यह सहमति से बनाया गया यौन संबंध था और उसे रेप के झूठे मामले में फंसाया गया है। हालांकि, हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलील मानने से इनकार कर दिया और कहा कि घटना के समय पीड़िता की उम्र 55 साल थी और वह झूठे आरोप थोपकर अपने चरित्र पर ऐसा कलंक नहीं लगाना चाहेगी।

हाईकोर्ट ने कहा, “पुलिस में ऐसे मामले की शिकायत दर्ज कराना चरित्र पर कलंक लगने का कारण बन सकता है। अगर यह सहमति से किया गया कृत्य होता, तो वह पुलिस को घटना की सूचना ही नहीं देती। अगर यह सहमति से किया गया कृत्य होता, तो वह इस बारे में अपनी बेटी को भी नहीं बताती।” (भाषा इनपुट्स के साथ)

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