भागलपुर: जिले में 10 साल के बच्चे की बलि देने के मामले में कोर्ट ने आरोपी को सजा सुनाई है। आरोपी कोई और नहीं बल्कि बच्चे का चाचा ही निकला। इस जघन्य अपराध के लिए कोर्ट ने आरोपी चाचा और तांत्रिक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। जांच में पता चला है कि किसी तांत्रिक के कहने पर आरोपी चाचा ने बच्चे को बहलाया और फिर अपने साथ लेकर गया। इसके बाद दोनों ने मिलकर बच्चे की बलि दे दी। अगली सुबह बच्चे का शव परिजनों को पड़ा मिला।
मां ने दर्ज कराया था मामला
बता दें कि 10 वर्षीय बच्चे की बलि देने के मामले में चाचा और तांत्रक को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। सोमवार को पीरपैंती निवासी बच्चे के चाचा शिवनंदन रविदास और तांत्रिक विलास मंडल को आजीवन कारावास के साथ 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। एससी-एसटी एक्ट में विशेष कोर्ट ने सजा सुनाई है। सुनवाई में शामिल स्पेशल पीपी रमेश चौधरी ने बताया कि पीरपैंती के विनोबा टोला निवासी मीना देवी ने बेटे कन्हैया कुमार की हत्या के मामले में पीरपैंती थाने में केस दर्ज कराया था। मामले में उन्होंने चचेरा देवर शिवनंदन रविदास और तांत्रिक विलास मंडल पर बेटे की हत्या का आरोप लगाया था।
पटाखा दिलाने के बहाने ले गया था साथ
बता दें कि मीना देवी ने पुलिस को दिए आवेदन में बताया था कि 27 अक्टूबर 2019 को देवर शिवनंदन रविदास और तांत्रिक विलास मंडल मेरे बेटे कन्हैया को पटाखा दिलाने के बहाने घर से बुलाकर ले गया था। उसके बाद से मेरा बेटा घर वापस नहीं लौटा, लेकिन अगले दिन वह घर के पीछे खून से लथपथ मृत हालात में मिला था। शिवनंदन रविदास और तांत्रिक विलास मंडल ने मिलकर कन्हैया की बलि दे दी थी। क्योंकि रविदास को बच्चा नहीं होने पर तांत्रिक विलास ने उसको बोला था कि बलि देने से उसे बच्चा हो जाएगा। (इनपुट- अमरजीत कुमार सिंह)
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