नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने टूलकिट मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और इसके पीछे की पूरी कहानी को खोलकर रख दिया। दिल्ली पुलिस की साइबर सेल के ज्वाइंट कमिश्नर प्रेम नाथ ने कहा, "जैसा आपको पता है कि 27 नवंबर 2020 से दिल्ली के बॉर्डर पर किसान आंदोलन चल रहा है। उस आंदोलन के दौरान कई प्रकार की गतिविधियां हुईं। 4 फरवरी 2021 को सोशल मीडिया मॉनिटरिंग के दौरान एक गूगल डॉक्यूमेंट टूलकिट के बारे में पता लगा, जो ट्विटर पर शेयर किया गया था।
साइबर सेल के ज्वाइंट कमिश्नर प्रेम नाथ ने कहा, "इस टूलकिट के एक भाग में Prior Action के नाम से कुछ एक्शन प्वाइंट लिखे थे। जैसे- 26 जनवरी और उससे पहले हैशटैग के द्वारा डिजिटल स्ट्राइक करना, 23 जनवरी से ट्वीट स्ट्रोम शुरू करना, 26 जनवरी को फिजिकल एक्शन। इसी डॉक्यूमेंट के दूसरे भाग में भारत के सांस्कृतिक धरोहर जैसे योग और चाय को हानि पहुंचाना और भारतीय दूतावास को टारगेट करने जैसे कार्य उल्लेखित हैं।
उन्होंने कहा, "इस टूलकिट में दिए गए समयवध एक्शन प्वाइंट और कार्यक्रम को जब दिल्ली में घटित वास्तविक घटनाक्रम के परिपेक्ष में देखा गया तो बात प्रत्यक्ष रूप से दिखी कि दिए गए एक्शन प्लान को हूबहू एग्जीक्यूट किया गया और अमल में लाया गया। इन सभी तथ्यों को मद्देनजर रखते हुए दिल्ली पुलिस ने FIR नंबर 49/21 दर्ज की। जांच के दौरान इस टूलकिट के ऑनलाइन मौजूद स्क्रीनशॉट्स की पड़ताल की गई।"
ज्वाइंट कमिश्नर प्रेम नाथ ने कहा, "जांच में पर्याप्त जानकारी मिलते ही इस टूलकिट गूगल डॉक्यूमेंट की एडिटर निकिता जेकप के विरुद्ध कोर्ट से सर्च वारंट जारी करा कर केस के IO समेत एक टीम को मुंबई भेजा गया और तलाशी के दौरान उनसे दो लैपटॉप और एक आईफोन मिले। जांच में यह भी बात निकल कर आई कि खालिस्तानी समर्थित संगठन पोएटिक जस्टिस फॉर फाउंडेशन के एमओ धालीवाल ने अपने कनेडा में रह रही सहयोगी पुनित के जरिए निकिता जेकप से संपर्क किया।"
उन्होंने कहा, "मकसद था कि रिपब्लिक डे के दिन ग्लोबल डे ऑफ एक्शन करना तथा उससे पहले और बाद में ट्वीट स्ट्रोम और डिजिटल स्ट्राइक करना। 11 जनवरी 2021 को आस्क व्हाये इंडिया कैंपेनर्स पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन ने एक जूम मीटिंग का आयोजन किया, जिसे निकिता, शांतनु एमओ धालीवाल और अन्य लोग शामिल हुए। इस मीटिंग के दौरान फैसला लिया गया कि इस कैंपेन को विश्व स्तर पर फैलाया जाए।
प्रेम नाथ ने कहा, "धालीवाल का मकसद इस मुद्दे को बड़ा बनाना और किसानों के बीच असंतोष तथा गलत जानकारी फैलाना था।, यहां तक कि किसान की मौत को भी गोली से हुई मौत बताया गया। सर्च में यह भी बातें सामने आईं कि निकिता, उसके साथी शांतनु और दिशा ने टूलकिट डॉक्यूमेंट बनाया था। शांतनु का बनाया गया ईमेल अकाउंट इसका ओनर है। यह भी बात निकलकर आई कि यह एक व्हाट्सऐप ग्रुप से जुड़े थे, जो 6 दिसंबर को बनाया गया था।"
उन्होंने बताया, "बेंगलुरु टीम में दिशा को इंटेरोगेट किया गया और उसके फोन से महत्वपूर्ण जानकारी निकालने में सफलता मिली। इस जानकारी से स्पष्ट हुआ कि दिशा ने अपने साथियों शांतनु और निकिता जैकप के साथ मिलकर टूलकिट गूगल डॉक्यूमेंट को बनाया और लोगों तक भेजा। दिशा को जो दोस्त, फ्राइडे फॉर फ्यूचर नाम के पर्यावरण आंदोलन से जुड़ी हैं, उसने ही ग्रेटा को टेलीग्राम पर यह टूलकिट भेजी है। शुरुआती जांच में पता चला कि फोन का काफी डेटा डिलीट किया जा चुका है।"
उन्होंने बताया, "दिशा के टेलीग्राम चैट से यह भी बात पता चलती है कि तीन फरवरी को ऑनर्स राइट लेकर टूलकिट डॉक्यूमेंट से जुड़े अकाउंट और लिंक हटा दिए गए हैं। इन तथ्यों के आधार पर दिशा को 13 फरवरी को बेंगलुरु से उनकी माता और लोकल थाने के SHO की मौजूदगी में गिरफ्तार किया गया। घरवालों और उनके वकील बता दिया गया कि अभियुक्त को दिल्ली लाया जा रहा है।"