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दिल्ली पुलिस ने "छोटू चौधरी गैंग" के 4 गुर्गों को किया गिरफ्तार, करते थे साइबर क्राइम

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने बिहार के नालंदा से एक ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया है जो कोरोना काल मे ऑक्सीजन सिलेंडर की झूठी मदद के नाम पर लोगों को ठगी का शिकार बना रहा था।

Reported by: Abhay Parashar @abhayparashar
Published on: May 19, 2021 20:59 IST
दिल्ली पुलिस ने "छोटू चौधरी गैंग" के 4 गुर्गों को किया गिरफ्तार, करते थे साइबर क्राइम- India TV Hindi
दिल्ली पुलिस ने "छोटू चौधरी गैंग" के 4 गुर्गों को किया गिरफ्तार, करते थे साइबर क्राइम

नई दिल्ली/नालंदा: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने बिहार के नालंदा से एक ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया है जो कोरोना काल मे ऑक्सीजन सिलेंडर की झूठी मदद के नाम पर लोगों को ठगी का शिकार बना रहा था। दरअसल, कोरोना काल के दौरान बिहार का 'छोटू चौधरी गैंग' सोशल मीडिया का प्रयोग करके दिल्ली-एनसीआर, मुंबई सहित अन्य राज्यों में 200 के करीब साइबर क्राइम के मामले को अंजाम दे चुका है। लेकिन, अब दिल्ली पुलिस की इंटर स्टेट क्राइम ब्रांच की टीम बिहार जाकर उस गैंग के चार अपराधियों को पकड़कर दिल्ली ले लाई है। हालांकि, गैंग का सरगना छोटू चौधरी अभी फरार है।

कोरोना काल के दौरान जब दिल्ली-एनसीआर में ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी हो रही थी, तब इस गैंग ने करीब 10 दर्जन से ज्यादा यानी सवा सौ से भी ज्यादा जरूरतमंद मरीजों के परिजनों को ऑक्सीजन सिलेंडर के नाम पर लूटा और साइबर क्राइम को अंजाम दिया। इस मामले  में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच टीम ने कार्रवाई करते हुए बिहार के नालंदा में एक्टिव इंटर स्टेट गैंग "छोटू चौधरी गैंग" के चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। 

गिरफ्तारी के बाद आरोपियों के पास से 21 मोबाइल, 9 ऐसे मोबाइल नंबर जो फेक बैंक एकाउंट से अटैच थे, 23 एटीएम कार्ड, 22 फर्जी मोबाइल सिम कार्ड, बैंक एकाउंट और संबंधित दस्तावेज, पासबुक, लैपटॉप, चेकबुक, आधार कार्ड, वोटर कार्ड सहित कई अन्य दस्तावेज बरामद किए गए हैं। गिरफ्तार किए गए आरोपियों के नाम दीपक (नालंदा), पंकज (शेखपुरा), श्रवण (नालंदा) और मिथलेश (नालंदा) है। 

जानकारी के अनुसार, इस गैंग ने दो टीमें बना रखी थीं, एक मार्केटिंग और एक बैंकिंग। ये अलग-अलग बैंक में खाते खोलते थे। एकाउंट का नंबर एक मोबाइल नम्बर के साथ मैसेज तैयार करके अलग-अलग WhatsApp ग्रुप और सोशल मीडिया पर शेयर करते थे। इसमें कहा जाता था कि जिसे ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत हो, वह संपर्क कर सकता है। 

इसके बाद जैसे ही कोई इनसे संपर्क करता था, यह उससे 30 से 80 हजार रुपए पहले एकाउंट में जमा करवाते थे और फिर फोन बन्द कर लेते थे। इनके एक बैंक एकाउंट में एक करोड़ से ज्यादा और दूसरे एकाउंट्स से लाखों रुपए जमा मिले हैं। इस गैंग का सरगना छोटू चौधरी है, जिसके नेतृत्व में करीब 200-300 लोगों की टीम इसी तरह के फर्जीवाड़ों को अंजाम देने के लिए काम करती है।

दिल्ली पुलिस की साइबर सेल के डीसीपी अन्येष राय के मुताबिक इस कोरोना काल के दूसरे फेज के दौरान सबसे ज्यादा साइबर क्राइम के फर्जी कॉल बिहार से ही आए थे, जो ज्यादातर इसी अपराधी के गुर्गों द्वारा किए गए थे। छोटू चौधरी करीब दो तीन सालों से लगातर साइबर क्राइम के मामलों को अंजाम दे रहा है। इसी दौरान अब वो कई अवैध संपत्तियों का मालिक भी बन चुका है। 

छोटू चौधरी अपने टीम में बेहद कम उम्र वाले युवकों को ही रखता है, जिनको पैसों और मौज मस्ती का लालच देकर इस तरह के धंधे में उतारता है। इसके बाद उसे शातिर अपराधी बना देता है और अपने इशारे पर काम करवाता है। क्राइम ब्रांच के अधिकारी के मुताबिक, इस मामले में जांच कर्ताओं को तफ्तीश के दौरान ये जानकारी मिली थी कि यह छोटे चौधरी गैंग बिहार शरीफ, नालंदा जिला अंतर्गत कई इलाके में इस तरह के फर्जीवाड़े को अंजाम दे रहा है।

क्राइम ब्रांच के पास इस तरह के जब कई मामले दर्ज हुए तो उसके बाद इस मामले में क्राइम ब्रांच के स्पेशल कमिश्नर प्रवीर रंजन, एडिशनल कमिश्नर शिबेश सिंह और डीसीपी मोनिका भारद्वाज के बीच आपस में कई राउंड की बातचीत हुई और स्पेशल कमिश्नर के द्वारा विशेष तौर पर निर्देश डीसीपी को दिया गया कि इस तरह के मामलों को अंजाम देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।

इसके बाद डीसीपी मोनिका भाारद्वाज ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एसीपी संदीप लाम्बा और इंस्पेक्टर विवेकानंद झा के नेतृत्व में सब इंस्पेक्टर लोकेन्द्र, संजय, एएसआई धर्मेंद्र, श्रीपाल, हेड कांस्टेबल विनोद, कांस्टेबल प्रवीण की टीम ने इस पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया और चार आरोपियों को गिरफ्तार करके दिल्ली लाया गया, जिनसे इस मामले में आगे पूछताछ की जाएगी। 

गिरफ्तार किए गए अभियुक्तों से गैंग में शामिल तमाम अन्य आरोपियों सहित फरार सरगना छोटू चौधरी के बारे में विस्तार से पूछताछ की जाएगी। पुलिस के मुताबिक, छोटू चौधरी के गुर्गे पहले Flipkart और फोनो फ्रेंडशीप जैसे पुराने तरीके से फर्जीवाड़ा करते थे लेकिन कोरोना काल के दौरान इस महामारी को इन्होंने अवसर बनाकर ऑक्सीजन सिलेंडर सहित अन्य मेडिकल चीजों के नाम पर साइबर अपराध को अंजाम देने लगे।

डीसीपी मोनिका भारद्वाज के मुताबिक, जब कुछ मामलों की तफ्तीश की गई तो पता चला की इन साइबर अपराधियों ने फर्जीवाड़े को अंजाम दिया तो उसके बाद कई बैंक एकाउंट में पैसा ट्रांसफर हो रहा था, जिसमें कई बैंक एकाउंट मुंबई के भी थे। लिहाजा, इस मामले में क्राइम ब्रांच की टीम अब कई राज्यों में इस गैंग के फैले कनेक्शन को खंगालने के लिए कई बैंक अधिकारियों से भी संपर्क साथ रही है, जिससे इस मामले में तमाम जानकारियों को प्राप्त करके आगे की कार्रवाई को अंजाम दिया जा सके।

फिलहाल, इन चारों आरोपियों को 8 दिन की क्राइम ब्रांच की कस्टडी में भेजा गया है। इन सभी से पूछताछ करने के बाद इनके सरगना छोटू चौधरी तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है।

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