कवर्धा. छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले के एक सुदूरवर्ती गांव में रविवार को 100 से अधिक लोगों के एक समूह ने 25 वर्षीय पादरी की कथित तौर पर उसके घर में घुसकर पिटायी की तथा इस दौरान समूह में शामिल व्यक्तियों को धर्म परिवर्तन के खिलाफ नारे लगाते हुए सुना गया। यह जानकारी पुलिस के एक अधिकारी ने दी।
अधिकारी ने कहा कि भीड़ में शामिल व्यक्तियों ने पादरी की संपत्ति में भी तोड़फोड़ की और मौके से भागने से पहले उनके परिवार के सदस्यों के साथ मारपीट की। कबीरधाम के पुलिस अधीक्षक मोहित गर्ग ने बताया कि यह घटना कुकदूर थानाक्षेत्र के पोलमी गांव में पूर्वाह्न करीब 11 बजे हुई जब पादरी कवलसिंह परस्ते के घर पर एक प्रार्थना चल रही थी।
उन्होंने कहा, "प्रारंभिक सूचना के अनुसार, 100 से अधिक लोगों की भीड़ उनके घर में घुस आयी और कथित तौर पर धार्मिक चीजों, घरेलू सामान और धर्म से जुड़़ी पुस्तकें फाड़ दी।" गर्ग ने कहा, "उन्होंने कथित तौर पर परस्ते की पिटायी की और महिलाओं सहित उनके परिवार के सदस्यों के साथ बदसलूकी की और फिर फरार हो गए।"
उन्होंने कहा कि हमलावरों को धर्म परिवर्तन रोकने को लेकर नारे लगाते सुना गया। उन्होंने बताया कि इसकी सूचना मिलते ही पुलिस की एक टीम मौके पर पहुंची। गर्ग ने कहा कि इस संबंध में मामला दर्ज किया जा रहा है और तदनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।
इस बीच, छत्तीसगढ़ क्रिश्चन फोरम के अध्यक्ष अरुण पन्नालाल ने पुलिस और राज्य सरकार पर ईसाई उपासना स्थलों पर हमले के मामलों में उचित कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, "यह एक बहुत ही खतरनाक प्रवृत्ति है, जो राज्य में प्रचलित हो गई है और सरकार इसे रोकने में विफल रही है। हम इस सरकार की लाचारी से अप्रसन्न हैं।"
उन्होंने कहा, "पिछले 15 दिनों में, राज्य भर में हमारे धार्मिक स्थलों पर कम से कम 10 ऐसे हमले कथित रूप से हुए लेकिन किसी भी मामले में पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। हम सिर्फ न्याय चाहते हैं। लेकिन ऐसी घटनाओं का बार-बार होना संकेत देता है कि सरकार उन लोगों का समर्थन कर रही हैं जो बर्बरता में शामिल हैं।"
पन्नालाल ने कहा कि राज्य में ईसाई समुदाय के विभिन्न वर्गों ने हाल ही में बिलासपुर में एक बैठक की और उपासना स्थलों की रक्षा के लिए एक दस्ते का गठन करने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि फोरम राज्य के विभिन्न जिलों में चर्चों की तोड़फोड़ के मामलों में पुलिस की कथित निष्क्रियता का उल्लेख करते हुए सभी सबूतों के साथ उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर करेगा।