Sunday, December 22, 2024
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सीबीआई ने चिट फंड घोटाले में कई आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की

सीबीआई ने 18 अक्टूबर 2019 को आरोपियों के विरुद्ध मामला दर्ज किया था और जांच के दौरान पता लगा कि आरोपियों ने आपस में षड़यंत्र किया एवं धोखाधड़ी के इरादे से कथित रुप से कम्पनी बनाई और उस कंपनी के डायरेक्टर बन गए।

Reported by: Abhay Parashar @abhayparashar
Updated : November 01, 2021 19:25 IST
सीबीआई ने चिट फण्ड घोटाले में कई आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की
Image Source : FILE सीबीआई ने चिट फण्ड घोटाले में कई आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की

सीबीआई ने चिट फंड घोटाले से सम्बन्धित मामलें में प्राइवेट कम्पनी समूह के तत्कालीन चेयरमैन और डायरेक्टर तथा अन्यों जिसमें उक्त कम्पनी समूह के प्रबन्ध निदेशक/निदेशक, उक्त कम्पनी समूह के दो अन्य निदेशक, कोलकाता (पश्चिम बंगाल) स्थित एक निजी कम्पनी के विरुद्ध जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत, अगरतला (त्रिपुरा) के समक्ष पूरक आरोप पत्र दायर किया। पूर्व में त्रिपुरा पुलिस द्वारा भी जनवरी 2018 में एक आरोप पत्र दायर किया गया था।

कंपनी और आरोपियों के नाम इस प्रकार है-

  1. गौतम कुंडू, तत्कालीन अध्यक्ष और निदेशक, मेसर्स रोज वैली ग्रुप ऑफ कंपनीज
  2. शिबामय दत्ता, मेसर्स रोज वैली ग्रुप ऑफ कंपनीज के तत्कालीन प्रबंध निदेशक/निदेशक 
  3. अशोक कुमार साहा, मेसर्स रोज वैली ग्रुप ऑफ कंपनीज के तत्कालीन निदेशक
  4. राम लाल गोस्वामी, रोज वैली ग्रुप ऑफ कंपनीज के तत्कालीन निदेशक
  5. मेसर्स रोज वैली होटल एंड एंटरटेनमेंट लिमिटेड, कोलकाता (पश्चिम बंगाल)

सीबीआई ने 18 अक्टूबर 2019 को आरोपियों के विरुद्ध मामला दर्ज किया था और जांच के दौरान पता लगा कि आरोपियों ने आपस में षड़यंत्र किया एवं धोखाधड़ी के इरादे से कथित रुप से कम्पनी बनाई और उस कम्पनी के डायरेक्टर बन गए। आगे यह आरोप है कि आरोपी निदेशकों ने आरोपी कंपनी सहित अन्यों के साथ षड़यंत्र करते हुए, कंपनी अधिनियम एवं सेबी (CIS) विनियमन के उल्लंघन में बड़ी संख्या में निवेशकों को होटलों में कमरे बुक करने के नाम पर प्रमाण पत्र जारी कर जमाओं के रुप में लोगों से भारी धनराशि एकत्र की।

आरोपियों ने कथित रुप से उक्त निजी कंपनी समूह के अधीन कई अन्य कंपनियों बनाई और इन कंपनियों के निदेशक बन गए तथा यह जानते हुए कि ये कंपनियां घाटे के सौदे वाली कंपनियां है, फिर भी कंपनी समूहों में धनराशि डाइवर्ट की। उन्होनें कंपनी के नाम पर कई बैंक खाते खोले और इन बैंक खातों के हस्ताक्षरी बने एवं कथित रुप से अपने मुनाफे के लिए धनराशि को स्थानान्तरित किया/धनराशि के साथ हेरफेर किया।

यह भी आरोप है कि कंपनी के व्यापार की असलियत एवं व्यावहारिकता के विपरीत आरोपियों ने कंपनी समूह की उच्च लाभकारिता के बारे में गलत तरीके से प्रचार किया। उन्होनें एक के ऊपर एक बड़ी संख्या में एजेण्टों को नियुक्त किया और कंपनी नियम (जमाओं की स्वीकृति), के उल्लंघन में उच्च कमीशन एवं प्रोत्साहन के बल पर धनराशि एकत्र करने के लिए उन्हे प्रेरित किया। आगे, उन्होनें कथित रुप से अवैध धन परिचालन स्कीम (money circulation schemes) चलाई जो कि इनामी चिट और धन परिचालन स्कीम (पाबन्दी) अधिनियम के तहत प्रतिबन्धित है। आरोपियों ने कंपनी नियमों (जमाओं की स्वीकृति) के उल्लंघन में उच्च मुनाफे का प्रस्ताव देकर उक्त कंपनी की विभिन्न स्कीमों में धन निवेश करने के लिए निवेशकों को प्रलोभित भी किया। 

कंपनी के आरोपी निदेशक, बड़े एजेन्टों एवं निवेशको के साथ कथित रुप से व्यापार विकास हेतु बैठकें, संगोष्ठियां और प्रतियोगिताएं आयोजित किया करते थे और इस तरह की बैठकों में, वे ज्यादा से ज्यादा निवेश एकत्र करने हेतु निवेशकों एवं एजेण्टों को प्रेरित करने के लिए प्रेरणादायक भाषण दिया करते थे। निवेशकों के द्वारा निवेशित धनराशि कथित रुप से कम्पनी समूह की घाटे में चल रही सहयोगी कंपनियों में पथान्तरित (Diverted) कर देते थे, जहां पर धनराशि का गबन होता था। यह आरोप है कि 464,80,06,331/- रु. (लगभग) की धनराशि का गबन किया गया। सीबीआई ने पूरे मामले की जांच के बाद अब इस मामले में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है।

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