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कहीं धड़ मिला, कहीं सिर, 10 साल तक चला चूहे-बिल्ली का खेल, मुश्किल से पकड़ा गया खूनी

दरअसल साल 2011 में 25 जून को दिल्ली के झंडेवाला इलाके में एक बोरी में बिना धड़ का एक शव मिला था। जिसके बाद अपराधियों को पकड़ने के लिए दिल्ली पुलिस की तरफ से जांच शुरू की गई थी। 

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: July 07, 2021 11:24 IST
cat mouse game ends after ten years murderer arrested by delhi police from bihar कहीं धड़ मिला, कहीं- India TV Hindi
Image Source : FREEPIK कहीं धड़ मिला, कहीं सिर, 10 साल तक चला चूहे-बिल्ली का खेल, मुश्किल से पकड़ा गया खूनी

नई दिल्ली. देश में हर रोज अपराध की घटनाएं होती है, लेकिन कभी-कभी ऐसी घटनाएं सामने आती हैं, जो फिल्मी कहानियों को भी पीछे कर दे। ऐसा ही एक मामला सामने आया है देश की राजधानी दिल्ली से, जहां पर खूनी के पकड़ के लिए पुलिस और कातिल के बीच 10 साल तक चूहे बिल्ली का खेल चलता रहा, लेकिन अंत में कानून के लंब हाथ अपराधी तक पहुंच ही गए।

दरअसल साल 2011 में 25 जून को दिल्ली के झंडेवाला इलाके में एक बोरी में बिना धड़ का एक शव मिला था। जिसके बाद अपराधियों को पकड़ने के लिए दिल्ली पुलिस की तरफ से जांच शुरू की गई थी। इस मामले में शुरुआत में पुलिस के बेहद कम सुराग थे। जिनमे से एक सुराग था, मृतक के शरीर पर मिली शर्ट में लगा “Decent Tailors” का टैग और दूसर मृतक के हाथ में सर्जरी का निशान।

मृतक का परिवार उसके लापता होने के तीन दिन बार नजफगढ़ पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज करवाने के लिए गया, जहां से उन्हें पहाड़गंज पुलिस स्टेशन भेजा गया, जहां से झंडेवाला इलाके में मिले शव के बारे में सूचना सर्कुलेट की गई थी। मृतक के परिवार बिना शव के धड़ की पहचान की और ये पुष्टि कि ये शव उनके परिवार के सदस्य लायक राम का है। उन्होंने शव पर सर्जरी का निशान देखकर शव पहचाना। इसी दौरान पुलिस ने टेलर के टैग से टेलर का पता लगाया, उसने भी शव की पहचान की।

इसी दौरान दिल्ली के अमर विहार में एक नाले में एक सिर बरामद हुआ। यह शव मिलने वाली जगह से करीब 20 किलोमीटर दूरी पर था। यह सिर लायक राम का था, उसके परिवार ने इसकी पुष्टि की। शिनाख्त के बाद पुलिस हत्यारों को पकड़ने की दिशा में आगे बढ़ी। जांच के दौरान लायक राम के परिवार वालों ने पुलिस को बताया कि वो अपनी हत्या से कुछ साल पहले सीमा सुरक्षा बल से सेवानिवृत्त हुए थे और हत्या से पहले एक फाइनेंसर और एक संपत्ति डीलर के रूप में काम कर रहे थे।

पुलिस ने जांच के दौरान पाया कि शरीर पर चाकू के कई घाव थे। शरीर के अंगों को डंप करने की पूरी प्रक्रिया ने संकेत दिया कि यह एक व्यक्ति का काम नहीं था। इसके बाद पुलिस ने लायक राम के दोस्तों और परिचितों को ट्रैक करना शुरू किया। सूची में सबसे पहले उनके बिजनेस पार्टनर पवन और दूसरे परिचित शत्रुघ्न थे। लायक राम को आखिरी बार उनके साथ देखा गया था।

यहां तक कि जांच में अपराध में उनकी भूमिका होने की संभावना मिल रही थी, हालांकि इस दौरान पवन रेलवे ट्रैक पर मृत पाया गया और शत्रुघ्न लापता हो गया। पवन की मौत आत्महत्या प्रतीत हो रही है। तकनीकी निगरानी का उपयोग करते हुए, पुलिस ने तीसरे संदिग्ध रूप चंद को पकड़ लिया, जिसने रहस्य को उजागर करने में उनकी मदद की।रूप चंद पवन की फैक्ट्री में ड्राइवर का काम करता था।

अब पुलिस को जांच में पता चला कि पवन पर लायक राम का पैसा बकाया था और वह अपने व्यवसाय में घाटे के कारण इसे वापस नहीं कर पा रहा था। लायक राम आए दिन उसका अपमान करता था और उसे धमकाता था, जिसके बाद पवन ने कथित तौर पर शत्रुघ्न के साथ मिलीभगत कर जान से मार दी। हत्या के बाद दोनों ने रूप चंद से शरीर के अंगों को डंप करने के लिए टेंपो चलवाया। इसके बाद शत्रुघ्न के लिए तलाशी अभियान शुरू किया गया था, जो उस समय लगभग 23 वर्ष का था, लेकिन तब तक वह भूमिगत हो चुका था।

साल 2012 में अदालत ने उसे भगोड़ा अपराधी घोषित कर दिया क्योंकि कई छापे उसके ठिकाने का पता लगाने में विफल रहे। हालांकि इस दौरान रूपचंद को सबूत नष्ट करने का दोषी ठहराया गया और तीन साल की सजा काटने के बाद रिहा कर दिया गया। मामला इतिहास बन गया, लेकिन 10 साल बाद पुलिस को एक अज्ञात स्रोत से एक गुप्त सूचना मिली, जिसमें उसने शत्रुघ्न के अपने गृहनगर बेगूसराय, बिहार में होने की सूचना दी।

पूछताछ के दौरान, शत्रुघ्न ने खुलासा किया कि कैसे उसने अपना नाम बदलकर मुकेश राम रख लिया और अपने पिछले ट्रैक को छिपाने के लिए अपना रूप बदल लिया। वह हर छह महीने या एक साल में अपना स्थान बदलता रहा और अजीबोगरीब काम करके अपना जीवन यापन करता रहा। 2017 में वह बठिंडा में था और फिर 2019 में देहरादून भाग गया। फिलहाल वह बेंगलुरु में रह रहा था और यहीं से बिहार पहुंचा था, जब पुलिस को एक सूत्र ने सूचना दी थी।

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