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टीकाकरण के बाद दो नवजात शिशुओं की मौत! पूर्व डिप्टी सीएम ने जांच की मांग की

छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंह देव दो नवजात शिशुओं की मौत की जांच कराने की मांग की है। वहीं सीएमओ का कहना है कि टीकारण के चलते मौत नहीं हुई है।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Published on: September 02, 2024 23:23 IST
New born, chhattisgarh- India TV Hindi
Image Source : FILE प्रतीकात्मक तस्वीर

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएण टीएस सिंह देव ने बिलासपुर जिले के एक गांव में टीकाकरण शिविर के दौरान टीका लगाए जाने के बाद दो नवजात शिशुओं की मौत की जांच कराने की मांग की है। हालांकि, एक स्वास्थ्य अधिकारी ने दावा किया है कि टीकाकरण का शिशुओं की मृत्यु से कोई संबंध नहीं है। सिंह देव ने रविवार को बिलासपुर के जिला अस्पताल में पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और शिशुओं की मौत को एक ‘बहुत गंभीर’ मुद्दा बताया। उन्होंने मांग की कि टीकों के सभी बैच को एक बार में सील कर दिया जाए। 

छह सदस्यीय समिति गठित

पूर्व उप मुख्यमंत्री ने पूरे मामले की जांच कराने की भी मांग की। विपक्ष ने घटना की जांच के लिए कोटा से विधायक अटल श्रीवास्तव की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति गठित की है। बिलासपुर के पूर्व विधायक शैलेश पांडे ने मौतों के लिए टीकाकरण को जिम्मेदार ठहराया और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर इस मामले में चुप्पी साधने का आरोप लगाया। बिलासपुर जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.प्रभात श्रीवास्तव ने बताया कि जिले के कोटा विकासखंड के अंतर्गत पतेता गांव के आंगनबाड़ी केंद्र में 30 अगस्त को आठ बच्चों का टीकाकरण किया गया था। 

श्रीवास्तव ने बताया कि दो दिन के नवजात शिशु को बीसीजी का टीका लगाया गया था और उसकी मौत उसी दिन हो गई जबकि दो महीने के बच्चे को पेंटावेलेंट-1 का टीका लगाया गया था और उसे अगले दिन अस्पताल में मृत अवस्था में लाया गया। उन्होंने बताया, ‘‘उसी गांव के छह अन्य बच्चों को चिकित्सा जांच के लिए बिलासपुर जिला अस्पताल लाया गया। सभी स्वस्थ हैं और उन्हें कोई परेशानी नहीं है।’’ 

टीकाकरण के कारण नहीं हुई मौत-सीएमओ

श्रीवास्तव ने दावा किया कि दोनों शिशुओं की मौत टीकाकरण के कारण नहीं हुई। उन्होंने कहा कि नवजात की मौत का असली कारण पता नहीं चल सका क्योंकि उनके परिवारों ने पोस्टमार्टम करवाने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा, ‘‘संक्रमण और निमोनिया से मौतें हुई होंगी।’’ 

स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि बीसीजी की 5,000 खुराकें एक बैच में प्राप्त हुई थीं, जिनमें से 3,000 खुराकें दी जा चुकी हैं। इसी तरह पेंटावेलेंट टीके की 10,000 खुराकों में से अब तक 6,000 खुराकें दी जा चुकी हैं। उन्होंने कहा कि दोनों शिशुओं की मौत से पहले या बाद में टीकों के संबंध में कहीं से भी ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है। श्रीवास्तव ने कहा कि एहतियातन टीके की उक्त खेप का इस्तेमाल रोक दिया गया है। (भाषा)

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