Thursday, November 28, 2024
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सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ में महिला सरपंच की बहाली का आदेश दिया, लगाया एक लाख रुपये जुर्माना

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव को चार सप्ताह के भीतर सरपंच को 1 लाख रुपये का भुगतान करने और उसके "उत्पीड़न" के लिए जिम्मेदार दोषी अधिकारियों के खिलाफ जांच करने का निर्देश दिया।

Edited By: Mangal Yadav @MangalyYadav
Published : Nov 28, 2024 23:03 IST, Updated : Nov 28, 2024 23:14 IST
सुप्रीम कोर्ट - India TV Hindi
Image Source : FILE-PTI सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला सरपंच को काम पूरा होने में देरी के आधार पर पद से हटाने के संबंध में छत्तीसगढ़ के अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिए उदाहरण पेश करना चाहिए। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां ने इसे औपनिवेशिक सोच करार दिया और उनकी बहाली के आदेश दिए। इसके साथ ही सरकार पर मुकदमेबाजी और उत्पीड़न के लिए एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।

ग्रामीण क्षेत्रों में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दे सरकार

पीठ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रशासनिक अधिकारियों को, वास्तविक शक्तियों के संरक्षक और पर्याप्त रूप से समृद्ध होने के नाते, महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने और ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में महिलाओं के नेतृत्व वाली पहल का समर्थन करने के लिए उदाहरण पेश करना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि हमें इस बात पर जोर देना चाहिए कि आर्थिक महाशक्ति बनने का प्रयास कर रहे एक राष्ट्र के रूप में, ऐसी घटनाओं का लगातार घटित होना दुखद है।

सोनम लाकड़ा ने दी थी हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती

बता दें कि 27 वर्षीय सोनम लाकड़ा ने जनवरी 2020 में राज्य के जशपुर जिले में सजबहार पंचायत के सरपंच के रूप में चुने जाने के बाद अधिकारियों द्वारा उन्हें हटाए जाने को चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया है कि निर्वाचित पदों पर महिलाओं को हतोत्साहित करने वाले प्रतिगामी रवैये को अपनाने के बजाय, उन्हें ऐसे माहौल को बढ़ावा देना चाहिए जो शासन में उनकी भागीदारी और नेतृत्व को प्रोत्साहित करे।

कोर्ट ने कहा कि मामले की प्रथम दृष्टया जांच से पता चला है कि ग्राम पंचायत के सदस्यों ने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मिलकर उनकी पहल में बाधा डालने की सोची-समझी कोशिश की थी। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के अनुसार दोषी अधिकारियों से लागत वसूलने की अनुमति दी। हाई कोर्ट के 29 फरवरी के आदेश को रद्द करते हुए पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट के पास रिट याचिका पर विचार करने का व्यापक विवेक था। जहां कार्यपालिका ने लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करने के लिए अपनी शक्ति का स्पष्ट और बेशर्मी से दुरुपयोग किया है। 

इनपुट- भाषा

 

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