अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है। 'बालक राम' के दर्शन करने के लिए अयोध्या में राम भक्तों की भारी भीड़ उमड़ आई है। इस बीच, रामलला के ननीहाल छत्तीसगढ़ भी चर्चा के केंद्र में है। छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चाम्पा जिले में श्रीराम ने वनवास का समय बिताया था। मान्यता है कि यहां उन्होंने शबरी के जूठे बेर खाए थे। छत्तसीगढ़ के लोग राम को अपना भांजा मानते हैं। लिहाजा प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने उन सभी स्थानों को पर्यटन स्थलों में बदलने का ऐलान किया है, जिन स्थानों का नाता राम से है।
छत्तीसगढ़ से श्रीराम का नाता
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने एक समारोह में छत्तीसगढ़ और राम के नाते का जिक्र करते हुए कहा कि भगवान राम के कदम छत्तीसगढ़ में जहां-जहां पड़े हैं, वहां पर व्यवस्थित तरीके से पर्यटन स्थल के तौर पर उसे विकसित किया जाएगा। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से छत्तीसगढ़ वासियों को अयोध्या में श्री रामलला का दर्शन लाभ भी कराया जाएगा। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि 500 सालों के संघर्ष के बाद छत्तीसगढ़ के भांजा राम की जन्मस्थली अयोध्या के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की गई है। वनवास काल में भगवान श्री राम ने छत्तीसगढ़ की पावन भूमि पर समय व्यतीत किया है। छत्तीसगढ़ की यह पावन धरा माता कौशल्या की जन्मभूमि है और भगवान श्री राम का ननिहाल है।
अयोध्या में दो महीने तक भंडारा
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि भगवान राम के ननिहाल छत्तीसगढ़ से हमारी सरकार की ओर से चावल, सब्जी के साथ ही डॉक्टर और नर्सों की टीम भेजी गई है। छत्तीसगढ़ की तरफ से अयोध्या में अभी दो महीने तक भंडारा भी चलाया जाएगा। भगवान राम के आशीर्वाद से छत्तीसगढ़ को एक समृद्ध राज्य बनाएंगे। राज्य के धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि हम सब छत्तीसगढ़ वासियों के लिए गौरव की बात है कि माता कौशल्या का एक मात्र मंदिर छत्तीसगढ़ के चंदखुरी में स्थित है, इसलिए भांजा राम की प्राण प्रतिष्ठा का यह गौरवपूर्ण क्षण हम सब के लिए और भी अविस्मरणीय हो जाता है। (IANS इनपुट के साथ)
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