Wednesday, July 03, 2024
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महिला के शव को निजी जमीन पर दफनाने की मिली इजाजत, छत्तीसगढ़ HC का फैसला

बस्तर जिले का एक शख्स अपनी मां के शव को उनकी निजी जमीन पर दफनाने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की। फैसला देते हुए कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को अपने धार्मिक रीति-रिवाज से अपनी मां का अंतिम संस्कार करने का अधिकार है।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Updated on: July 03, 2024 8:28 IST
प्रतीकात्मक फोटो- India TV Hindi
Image Source : REPRESENTATIVE IMAGE प्रतीकात्मक फोटो

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने ईसाई धर्म अपना चुके बस्तर के एक परिवार की मृत महिला का अंतिम संस्कार उसके परिजनों की इच्छा के अनुरूप उनकी निजी जमीन पर करने की अनुमति प्रदान की है। अधिवक्ता प्रवीण तुलस्यान ने बताया कि हाई कोर्ट ने बस्तर जिले के पुलिस अधीक्षक को निर्देशित किया है कि याचिकाकर्ता की ओर से अपनी मां के शव को दफनाने तक उसे और उसके परिजनों को उचित पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाए।

अधिवक्ता प्रवीण तुलस्यान ने बताया कि कोर्ट ने उप-महाधिवक्ता प्रवीण दास को इस आदेश की जानकारी राज्य सरकार, चिकित्सा महाविद्यालय जगदलपुर, पुलिस अधीक्षक बस्तर और परपा थाने के थानेदार को देने का निर्देश दिया। अधिवक्ता ने बताया कि न्यायालय में सोमवार को न्यायमूर्ति पार्थ प्रतीम साहू ने कहा कि यह पहले से ही कानून का एक सुस्थापित सिद्धांत है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रत्येक व्यक्ति को सभ्य जीवन जीने का अधिकार प्राप्त है। जीवन के अधिकार का तात्पर्य मानवीय गरिमा के साथ सार्थक जीवन से है। यह अधिकार उस व्यक्ति पर भी लागू होता है, जिसकी मृत्यु हो चुकी है।

मां की मृत्यु के बाद दायर की याचिका 

तुलस्यान ने बताया कि बस्तर जिले के एर्राकोट गांव के रामलाल कश्यप ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि उनकी मां की 28 जून को स्वाभाविक मृत्यु हो गई। वह अपनी ही जमीन पर मां के शव को दफनाना चाहता है, लेकिन परपा थाने की पुलिस ने उसे ऐसा करने से रोक दिया। अधिवक्ता ने बताया कि पुलिस ने कश्यप से कहा कि शव को 15 किलोमीटर दूर कोरकापाल गांव में ले जाकर दफन करें, जहां पर एक अलग कब्रिस्तान बनाया गया है। उन्होंने बताया कि याचिकाकर्ता अपनी मां के शव को कहीं अन्य स्थान पर ले जाने के बजाय उसे अपनी ही जमीन पर ईसाई रीति से दफनाना चाहता है। शव को जगदलपुर के चिकित्सा महाविद्यालय में रखा गया है।

मृतका का शव पुत्र को सौंपने का निर्देश 

अधिवक्ता ने बताया कि न्यायमूर्ति साहू ने सोमवार के अपने आदेश में मोहम्मद लतीफ के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को अपने धार्मिक रीति-रिवाज से अपनी मां का अंतिम संस्कार करने का अधिकार है। उन्होंने बताया कि न्यायालय ने जगदलपुर चिकित्सा महाविद्यालय के अधिकारियों को मृतका का शव उसके पुत्र को सौंपने का निर्देश देते हुए 2 जुलाई को अपने ही गांव की निजी भूमि में उसे दफनाने की अनुमति प्रदान की है। अधिवक्ता ने बताया कि न्यायालय ने पुलिस अधीक्षक, बस्तर को भी निर्देशित किया है कि याचिकाकर्ता द्वारा अपनी मां के शव को दफनाने तक उसे और उसके परिजनों को उचित पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाए। (भाषा)

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