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बच्चों की ड्रेस पहनकर स्कूल में पढ़ाने जाती हैं ये महिला टीचर, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान

छत्तीसगढ़ के रायपुर में 30 साल की टीचर जान्हवी यदु स्कूल ड्रेस पहनकर पढ़ाने जाती हैं। यदु क्लास में बच्चों को पढ़ाती हैं और उनके साथ खेलती भी हैं।

Edited By: Rituraj Tripathi @riturajfbd
Published : Aug 12, 2023 21:12 IST, Updated : Aug 12, 2023 21:12 IST
Jhanvi Yadu
Image Source : TWITTER Jhanvi Yadu

रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर का एक सरकारी प्राथमिक स्कूल काफी चर्चा में है और इसकी वजह है यहां की एक स्कूल टीचर, जो स्कूल ड्रेस में यहां पढ़ाने आती हैं। दरअसल बच्चे ठीक से स्कूल ड्रेस पहनना सीखें, इसलिए इस महिला टीचर ने ये कदम उठाया है। उनके इस कदम से स्कूल के बच्चे जागरुक हुए हैं और वह टीचर द्वारा पढ़ाई जा रही चीजों को भी ठीक से समझ रहे हैं। 

क्या है पूरा मामला?

राजधानी रायपुर के गुढ़ियारी इलाके में स्थित शासकीय गोकुलराम वर्मा प्राथमिक शाला में अगर आप शनिवार को पहुंचेंगे तो वहां आपकी मुलाकात गाढ़ी नीली फ्रॉक और आसमानी शर्ट पहनी और 2 चोटी लगाई हुईं 30 साल की टीचर जान्हवी यदु से होगी। स्कूल ड्रेस पहनीं यदु क्लास में बच्चों को पढ़ाती हैं और उनके साथ खेलती भी हैं। 

बच्चे भी उनकी बातों पर अमल करते हैं। यदु के मुताबिक, 'स्कूल ड्रेस पहनने का आइडिया इसलिए आया क्योंकि वह बच्चों को सही और साफ-सुथरे तरीके से स्कूल ड्रेस पहनने के लिए प्रेरित करना चाहती थीं। इस स्कूल में आने वाले अधिकतर बच्चे गरीब तबके से हैं। वह कहती हैं, ''ज्यादातर विद्यार्थी गरीब तबके से हैं। उनमें से कई बगैर भोजन के ही स्कूल आते हैं, ऐसे में उनके मन में स्कूल ड्रेस के प्रति जागरूकता को समझा जा सकता है। मुझे लगा कि यदि उन्हें स्कूल ड्रेस पहनकर दिखाया जाए तो वे इसे बेहतर तरीके से समझेंगे। इसीलिए मैंने शनिवार को स्कूल ड्रेस पहनना शुरू कर दिया।'

पहली बार जब स्कूल ड्रेस पहनी तो हैरान रह गए बच्चे: यदु

यदु ने बताया कि पहली बार जब वह स्कूल ड्रेस पहनकर स्कूल गई थीं तो बच्चे हैरान भी हुए और खुश भी हुए। कुछ ने तो उन्हें गले भी लगाया। यदु का कहना है कि उनके स्कूल ड्रेस पहनकर स्कूल आने से बच्चों के व्यवहार में बड़ा बदलाव आया है। यदु कहती हैं, 'छात्र पहले मुझे अपने अभिभावक या मां के रूप में देखते थे। लेकिन अब वे मुझे अपना दोस्त मानते हैं।'

यदु ने बताया, ''शुरुआत में मुझे डर था कि मेरा परिवार स्कूल में स्कूल ड्रेस पहनने के मेरे फैसले को अस्वीकार कर देगा। लेकिन उन्होंने बहुत सकारात्मक तरीके से मेरा समर्थन किया। स्कूल में शिक्षकों ने भी मेरा सहयोग किया।'' (इनपुट: भाषा)

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