छत्तीसगढ़ में रेलवे के एक कर्मचारी और उसकी पत्नी के बीच फोन पर हुए झगड़े के दौरान 'ओके' कहने के कारण हुई गलतफहमी की वजह से रेलगाड़ी नक्सल प्रभावित क्षेत्र में चली गई और रेल विभाग को तीन करोड़ रुपये का घाटा हो गया। रेल विभाग ने इसे लेकर जब पति के खिलाफ कार्रवाई की तब बाद में पति ने इसके साथ ही अन्य मामलों को लेकर पत्नी से तलाक की अर्जी लगाई जिसे फैमिली कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया था। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के बाद पति की अर्जी को स्वीकार कर लिया है।
जानिए क्या है पूरा मामला
हाई कोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार विशाखापत्तनम के निवासी गोरा पल्लई वेंकटगिरी और दुर्ग जिले की निवासी येरनाकुला मीरा के तलाक मामले की सुनवाई के बाद छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की युगल पीठ ने पति की अपील को स्वीकार कर लिया। हाई कोर्ट के फैसले के अनुसार दुर्ग फैमिली कोर्ट ने पति वेंकटगिरी का तलाक का आवेदन खारिज कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
इस फैसले के अनुसार, विशाखापत्तनम निवासी वेंकटगिरी और दुर्ग जिले की निवासी मीरा का विवाह 12 अक्टूबर 2011 को दुर्ग जिले में सपन्न हुआ था। वेंकटगिरी विशाखापत्तनम में कार्यरत था तथा मीरा के पिता भी रेलवे विभाग में कार्यरत थे। फैसले के अनुसार वेंकटगिरी ने कहा है कि विवाह के बाद जब विशाखात्तनम में रिसेप्शन हुआ तब उनकी पत्नी मीरा खुश नहीं थी। बाद में जब उन्होंने इस संबंध में पत्नी से पूछताछ की तब पत्नी ने बताया कि विवाह के पूर्व उसका एक व्यक्ति से प्रेम संबंध था जिसे वह नहीं भूल सकती है। वेंकटगिरी के अनुसार इसके बाद उन्होंने इसकी सूचना मीरा के पिता को दी। जब मीरा को जानकारी मिली कि पति ने इसकी जानकारी पिता का दे दी है तब उसने वेंकटगिरी को धमकाना शुरू कर दिया। इस दौरान उसने अपने प्रेमी से भी बातचीत जारी रखी और इस कारण घर में कलह बढ़ता गया।
ड्यूटी के दौरान पति-पत्नी के बीच हुआ झगड़ा
वेंकटगिरी ने कोर्ट को बताया कि जब वह 22 मार्च 2012 को ड्यूटी पर था तब उनकी पत्नी उससे फोन पर झगड़ने लगी। इस दौरान वह दूसरे फोन पर कामलूर के स्टेशन मास्टर के साथ भी कार्य को लेकर बात कर रहा था। जब पत्नी मोबाइल फोन पर बातचीत के दौरान झगड़ने लगी तब उसने कहा कि वह घर आकर बात करेगा तथा पत्नी को 'ओके' कह दिया जिसे सुनकर कामलूर के स्टेशन मास्टर ने रेलगाड़ी को सिग्नल दे दिया और ट्रेन नक्सल प्रभावित क्षेत्र में चली गई। जबकि इस क्षेत्र में रात 10 बजे से सुबह छह बजे तब रेलगाड़ियों के आवागमन की मनाही थी। वेंकटगिरी के अनुसार इस गलती के कारण रेल विभाग को तीन करोड़ रुपये का नुकसान हुआ और विभाग ने उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की।
पति ने अश्लील फोटो खींची, दहेज के लिए किया प्रताड़ित- पत्नी
वेंकटगिरी ने कोर्ट को बताया कि इसके बाद भी पत्नी ने उसके साथ झगड़ा करना जारी रखा और उसके पिता ने उसे गुंडों से पिटवाया। साथ ही उसके कार्यालय में भी उसके साथ झगड़ा किया गया। कुछ समय बाद पत्नी मीरा अपने पिता के पास दुर्ग जिले में चली गई। वेंकटगिरी के अनुसार 13 मार्च 2013 को मीरा ने पति और उनके परिजनों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज करवा दिया। मीरा ने अदालत में कहा है कि उसके पति ने उसकी अश्लील फोटो खींची है तथा दहेज को लेकर उसे प्रताड़ित किया है। मीरा ने यह भी कहा कि उसके पति का अपनी भाभी के साथ अवैध संबंध था। इसलिए पति ने तलाक के लिए दबाव बनाया तथा षड्यंत्र किया।
मीरा ने कोर्ट को यह भी बताया कि दहेज की मांग, मारपीट, घर से निकाल देने आदि प्रताड़ना के कारण उसने पुलिस में मामला दर्ज कराया है, जिसके कारण उसके पति और परिजनों को गिरफ्तार किया गया था। मीरा ने कहा कि पति ने उसे प्रताड़ित किया और झूठे आरोप लगाकर तलाक का आवेदन पेश किया है। हाई कोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार फैमिली कोर्ट ने सुनवाई के बाद निर्णय दिया था कि पति यह प्रमाणित नहीं कर सका कि पत्नी ने उसके साथ क्रूरता पूर्वक व्यवहार किया है। बाद में पति वेंकटगिरी ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी।
पति पर भाभी के साथ अवैध संबंध का लगाया आरोप
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि पति पर दहेज प्रताड़ना के आरोप की पुष्टि नहीं हुई है। पत्नी ने पति पर उनकी भाभी के साथ अवैध संबंध का आरोप लगाया है लेकिन वह इस संबंध में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सकीं। जिसे क्रूरता माना गया। वेंकटगिरी की मां की मृत्यु हो चुकी है, विवाह के समय मां के न होने पर वे रस्म उसके भैया-भाभी ने संपन्न की थी। न्यायालय सूत्रों के मुताबिक न्यायमूर्ति रजनी दुबे और संजय कुमार जायसवाल की युगल पीठ ने सुनवाई के बाद पति की तलाक की अर्जी को स्वीकार कर लिया। न्यायालय ने कहा है कि पति क्रूरता के आधार पर तलाक का हकदार है। (भाषा इनपुट्स के साथ)
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