Thursday, November 21, 2024
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पूर्व IPS अधिकारी जीपी सिंह को हाई कोर्ट से बड़ी राहत, देशद्रोह-आय से अधिक संपत्ति से जुड़ी FIR निरस्त

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश की युगल पीठ ने बुधवार को भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी जीपी सिंह के खिलाफ तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा दर्ज की गई तीनों प्राथमिकी को निरस्त कर दिया।

Edited By: Mangal Yadav @MangalyYadav
Updated on: November 13, 2024 23:57 IST
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट- India TV Hindi
Image Source : HIGHCOURT.CG.GOV.IN छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट

रायपुर: 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी जीपी सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति, जबरन वसूली और देशद्रोह के मामले में दर्ज सभी तीन एफआईआर को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने बुधवार को रद्द कर दिया। जीपी सिंह का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील हिमांशु पांडे ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रवींद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने तीन एफआईआर को रद्द कर दिया। उन्होंने कहा कि आईपीएस अधिकारी के खिलाफ हाई कोर्ट में सुनवाई के लिए कोई अन्य मामला लंबित नहीं है।

 एफआईआर रद्द करने का आधार बनी ये चीज

 एफआईआर रद्द करने का आधार यह था कि जिस व्यक्ति की हिरासत से एक किलो सोने की ईंट जब्त की गई थी, उसे भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आरोपी नहीं बनाया गया था। जिस स्कूटी गाड़ी से सोने की ईंट बरामद की गई वह जीपी सिंह के नाम पर पंजीकृत नहीं थी। रंगदारी मामले में छह साल बीत जाने के बाद एफआईआर दर्ज की गई और शिकायतकर्ता जीपी सिंह को नहीं जानता था। 

जीपी सिंह के वकील ने दी ये जानकारी

जीपी सिंह के अधिवक्ता हिमांशु पांडेय ने बताया कि राज्य में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति, राजद्रोह और अवैध धन उगाही के मामले दर्ज किए थे। कोर्ट ने तीनों मामलों में दर्ज प्राथमिकी को द्वेषपूर्ण कार्यवाही का हिस्सा मानते हुए उसे रद्द करने का आदेश दिया है। पांडेय ने बताया कि सिंह के खिलाफ मामले के बाद उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई थी। उन्होंने बताया कि बुधवार को सिंह के खिलाफ मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायाधीश रविंद्र अग्रवाल की पीठ ने उनके खिलाफ दर्ज तीनों प्राथमिकी को रद्द कर दिया।

अधिवक्ता का दावा झूठे मामले में फंसाया गया

अधिवक्ता ने बताया कि हाई कोर्ट ने माना है कि सिंह को परेशान करने के लिए झूठे मामलों में फंसाया गया है। किसी भी मामले में उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है। उन्होंने बताया कि सुनवाई के दौरान चंडीगढ़ से वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गर्ग वर्चुअल रूप में उपस्थित हुए थे। पांडेय ने बताया कि आय से अधिक संपत्ति के मामले में न्यायालय ने पाया कि जिस व्यक्ति से सोना जब्त हुआ है, वह भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का कर्मचारी है और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने उसे आरोपी भी नहीं बनाया है, जबकि सोने को जीपी सिंह का बताकर उन्हें आरोपी बनाया गया। 

कई जगहों पर हुई थी छापेमारी

वहीं, जिस स्कूटी से सोना जब्त किया गया, वह भी सिंह के नाम से पंजीकृत नहीं है। एक जुलाई 2021 को एसीबी और ईओडब्ल्यू ने 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी जीपी सिंह के रायपुर स्थित सरकारी बंगले के अलावा राजनांदगांव और उड़ीसा के 15 अन्य स्थानों पर छापे की कार्रवाई की थी। एसीबी के मुताबिक छापे में कथित तौर पर 10 करोड़ रुपए की अघोषित संपत्ति के साथ कई संवेदनशील दस्तावेज मिले थे। उन्होंने बताया कि 11 जनवरी 2022 को जीपी सिंह को नोएडा से गिरफ्तार किया गया और केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 21 जुलाई 2023 को उन्हें अनिवार्य सेवानिवृति दे दी थी। हालांकि, इस साल अप्रैल में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) ने अधिकारी को बहाल करने का निर्देश दिया था। 

इनपुट- पीटीआई

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