रायपुर: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में सभी पार्टियों और उनके नेताओं ने कमर कस ली है और वह चुनावी पिच पर अपनी पारी खेलने के लिए तैयार हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में एक गांव ऐसा भी है, जहां के लोगों ने बोर्ड पर लिख दिया है कि इस गांव में नेताओं का प्रवेश वर्जित है। इसके अलावा गांव के लोगों ने चुनाव का बहिष्कार भी कर दिया है। ग्रामीणों के इस कदम के पीछे की वजह भी सामने आ गई है।
क्या है पूरा मामला?
गरियाबंद की देवभोग तहसील के परेवापाली गांव के लोगों में काफी गुस्सा है। 15 साल में 5 मांगें पूरी ना होने की वजह से ग्रामीणों ने इस चुनाव का बहिष्कार कर दिया है। गांव की आबादी करीब 800 लोगों की है। लेकिन मांगें पूरी ना होने की वजह से ग्रामीण गांव छोड़कर भी जा रहे हैं।
क्या हैं ग्रामीणों की मांगें?
ग्रामीणों की मांग है कि सेनमूडा और निष्टीगुड़ा से गांव को जोड़ने के लिए पक्की सड़क हो। इसके अलावा ग्रामीण पुलिया निर्माण, नहर की मरम्मत की बात भी कह रहे हैं। ग्रामीणों ने जो पोस्टर लगवाए हैं, उसमें ग्रामीणों ने 5 प्वाइंट्स लिखे हैं।
- प्रधानमंत्री सड़क नहीं तो वोट नहीं
- प्राथमिक शाला भवन नहीं तो वोट नहीं
- उपभोक्ता भंडार नहीं तो वोट नहीं
- पुल पुलिया नहीं तो वोट नहीं
- नहर की मरम्मत नहीं तो वोट नहीं
इसके अलावा ग्रामीणों ने गांव के बाहर एक बोर्ड पर लिख दिया है कि यहां नेताओं का आना मना है।
कुड़ेरादादर के लोग चुनाव बहिष्कार करने के लिए मजबूर
गरियाबंद जिले के छुरा विकास खंड के अंतर्गत ग्राम पंचायत कुड़ेरादादर और आस-पास के 6-7 गांवों के लोग धान खरीदी केंद्र नहीं खुल पाने के मुद्दे को लेकर विधानसभा चुनाव का बहिष्कार कर रहे हैं। किसानों की मानें तो उन्हें धान बेचने हेतु काफ़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है और आला अधिकारी एवं नेताओं तक चक्कर लगाने के बाद अब तक उनकी मांग पूरी नहीं हुई है। इसलिए वह आने वाले विधानसभा चुनाव का बहिष्कार कर रहे हैं।
(गरियाबंद से सिकंदर अली की रिपोर्ट)
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