Wednesday, January 15, 2025
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छत्तीसगढ़ में ‘शराब घोटाला’ : पूर्व मंत्री कवासी लखमा गिरफ्तार, 21 जनवरी तक ED की हिरासत में भेजे गए

जांच एजेंसी ने दावा किया था कि छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के चलते राज्य के सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ और शराब सिंडिकेट के लाभार्थियों की जेब में ‍अपराध से अर्जित 2,100 करोड़ रुपये से अधिक की आय गई।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Published : Jan 15, 2025 23:37 IST, Updated : Jan 15, 2025 23:53 IST
Kavasi Lakhma
Image Source : ANI कवासी लखमा

रायपुर: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाले के सिलसिले में राज्य के पूर्व आबकारी मंत्री एवं कांग्रेस विधायक कवासी लखमा को बुधवार को गिरफ्तार कर लिया। अधिकारियों ने बताया कि लखमा को रायपुर की एक विशेष अदालत में पेश किया गया, जिसने उन्हें 21 जनवरी तक ईडी की हिरासत में भेज दिया। हालांकि, लखमा ने ईडी की कार्रवाई की आलोचना करते हुए अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपों को खारिज किया। पूर्व मंत्री ने दावा किया कि उन्हें झूठे मामले में फंसाया जा रहा है। संघीय जांच एजेंसी ने पिछले साल 28 दिसंबर को मामले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिग जांच के तहत छत्तीसगढ़ के रायपुर, सुकमा और धमतरी जिले में कवासी लखमा और उनके बेटे हरीश से जुड़े परिसरों पर छापे मारे थे। इसके बाद, ईडी ने मामले में लखमा और उनके बेटे से पूछताछ भी की थी। 

पूछताछ के बाद गिरफ्तारी

अधिकारियों ने बताया कि ईडी ने लखमा (71) को पूछताछ के लिए बुधवार को पचपेड़ी नाका क्षेत्र स्थित अपने कार्यालय बुलाया था, जहां उन्हें दोपहर में गिरफ्तार कर लिया गया। विशेष लोक अभियोजक सौरभ कुमार पांडे ने बताया कि ईडी ने लखमा को रायपुर की विशेष पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) अदालत में पेश करते हुए उनकी 14 दिन की हिरासत का अनुरोध किया। पांडे के मुताबिक, अदालत ने लखमा को 21 जनवरी तक ईडी की हिरासत में भेज दिया। अदालत कक्ष में प्रवेश करने से पहले लखमा ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “(उनके परिसरों पर ईडी के) छापे के दौरान न तो कोई दस्तावेज मिला और न ही एक पैसा। मुझे झूठे मामले में जेल भेजा जा रहा है।” 

उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय “एक गरीब आदिवासी” और आदिवासी बहुल बस्तर क्षेत्र की आवाज को दबाने की कोशिश कर रहे हैं। लखमा ने दावा किया, “चूंकि, राज्य में पंचायत चुनाव होने वाले हैं और वे मुझे चुनाव से दूर रखना चाहते हैं, इसलिए उन्होंने मेरे खिलाफ यह कार्रवाई की है।” छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भूपेश बघेल ने ईडी पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया। 

राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से कार्रवाई 

उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ विधायक कवासी लखमा की गिरफ्तारी राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से की गई कार्रवाई है। ईडी केंद्र में सत्ता में बैठे अपने आकाओं के निर्देश पर कांग्रेस नेताओं को बदनाम करने की साजिश रच रही है। पूरी कांग्रेस पार्टी कवासी लखमा जी के साथ खड़ी है।” इससे पहले, ईडी ने एक बयान में दावा किया था कि पूर्ववर्ती कांग्रेस शासन के दौरान आबकारी मंत्री रहे लखमा शराब ‘घोटाले’ में अपराध की आय के मुख्य प्राप्तकर्ता थे। जांच एजेंसी ने आरोप लगाया था कि लखमा को “शराब घोटाले से अर्जित अपराध की आय से मासिक आधार पर नकद में बड़ी रकम” हासिल होती थी। ईडी के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाला 2019 से 2022 के बीच हुआ था, जब राज्य में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का शासन था। कोंटा (सुकमा जिला) से छह बार के विधायक लखमा उस समय आबकारी मंत्री थे। 

सरकारी खजाने को भारी नुकसान

जांच एजेंसी ने दावा किया था, “छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के परिणामस्वरूप राज्य के सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ और शराब सिंडिकेट के लाभार्थियों की जेब में ‍अपराध से अर्जित 2,100 करोड़ रुपये से अधिक की आय गई।” ईडी ने कहा था कि शराब घोटाले में राज्य के वरिष्ठ नौकरशाह, राजनेता, उनके सहयोगी और आबकारी विभाग के अधिकारी शामिल हैं। लखमा की रिमांड अर्जी में ईडी ने कहा कि पूछताछ में कई लोगों ने कांग्रेस नेता का नाम अपराध की आय से मासिक भुगतान प्राप्त करने वाले व्यक्ति के रूप में लिया है। जांच एजेंसी ने कहा, “लखमा उस समय आबकारी मंत्री थे और विभाग पर उनका पूरा नियंत्रण था। उन्हें अपने विभाग में अनियमितताओं के बारे में अच्छी तरह से पता था, फिर भी उन्होंने इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया, क्योंकि वह अपनी भूमिका के लिए अपराध से बड़ी मात्रा में कमाई कर रहे थे।” ईडी ने कहा कि लखमा ने नीति परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके कारण राज्य में एफएस-10ए लाइसेंस (जिनके धारकों को विदेशी शराब की आपूर्ति के लिए निविदा दी गई थी) की शुरुआत हुई। जांच एजेंसी ने कहा कि लखमा ने सिंडिकेट के एक अभिन्न अंग के रूप में काम किया और इसमें शामिल लोगों के निर्देश के अनुसार प्रक्रियाओं को संचालित करके सिंडिकेट की सक्रिय रूप से सहायता की। (इनपुट-भाषा)

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