रायपुर: कुश्ती खिलाड़ियों और भारतीय कुश्ती संघ का विवाद इस दिनों सुर्ख़ियों में है। इस बीच खेल और उसकी व्यवस्था से जुड़ी हुई एक ऐसी खबर आई, जिसने यह बता दिया कि ओलंपिक जैसी प्रतियोगिताएं में भारत ज्यादा पदक क्यों नहीं जीत पाता है। एक वीडियो ने बता दिया कि भारत कई खेलों में इतना पिछड़ा हुआ क्यों है? यहां क्रिकेट और क्रिकेटर को जहां पूजा जाता है तो कई ऐसे खेल भी हैं, जिनके लिए जिम्मेदार और सरकार सफ़र करने के लिए ट्रेन का टिकट तक नहीं करा सकते हैं।
दिल्ली में आयोजित प्रतियोगिता में भाग लेने गए थे खिलाड़ी
जी हां, सही पढ़ा आपने। दरअसल छत्तीसगढ़ का राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करने गई दिल्ली गए जिमनास्टिक खिलाड़ियों को बाथरूम और वॉश बेसिन के सामने बैठकर रात भर सफर करना पड़ा। इतना ही नहीं बाथरूम और वॉश बेसिन बुरी तरह से गंदे थे। यहां से बुरी बदबू आ रही थी, लेकिन इन खिलाड़ियों को भयानक सर्दी में ठंडे फर्श और टॉयलेट के पास बैठकर अपना सफर पूरा करना पड़ा। इसका एक वीडियो भी जमकर वायरल हो रहा है। बताया जा रहा है कि समय पर टिकट आरक्षण नहीं किया गया था, जिसके कारण 18 घंटे का अधिक का सफर खिलाड़ियों को छत्तीसगढ़ संपर्क क्रांति के बाथरूम एवं वॉश बेसिन के सामने बैठकर करना पड़ा।
51 खिलाड़ियों का दल गया था दिल्ली
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ के 51 खिलाड़ी 18 दिसंबर से 23 दिसंबर तक दिल्ली में 67वीं राष्ट्रीय शालेय क्रीडा प्रतियोगिता में जिमनास्टिक के खिलाड़ी राष्टीय स्तर पर आयोजित प्रतिस्पर्धा में भाग लेने दिल्ली गई हुई थी। इसमें गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले की 13 जिमनास्टिक खिलाड़ियों सहित छत्तीसगढ़ के 51 खिलाड़ी जो अलग-अलग जिलों से हैं। 51 खिलाड़ियों का यह दल 22 दिसंबर को संपर्क क्रांति एक्सप्रेस से वापस छत्तीसगढ़ लौटना था। गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले सहित छत्तीसगढ़ के लिए गौरव की बात है परंतु राष्ट्रीय शालेय क्रीडा प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी 51 खिलाड़ी छात्र-छात्राओं का रिजर्वेशन समय पर करना था, पर इसे खेल विभाग और प्रशासन की बड़ी लापरवाही कहेंगे कि खिलाड़ियों का कैलेंडर जारी होने के बावजूद पूर्व से ही इन खिलाड़ियों का रिजर्वेशन नहीं कराया गया।
खिलाड़ियों को ट्रेन की फर्श पर बैठकर वापसी की यात्रा तय करनी पड़ी
जिसकी वजह से कोच सहित किसी भी खिलाड़ी का रिजर्वेशन कंफर्म नहीं हो पाया, नतीजा यह राष्ट्रीय खिलाड़ियों को ट्रेन की फर्श पर बैठकर वापसी की यात्रा तय करनी पड़ी। शर्म की बात यह है कि इन बच्चों को सुरक्षित दिल्ली ले जाने और वापस छत्तीसगढ़ पहुंचने का जिम्मा जिस प्रबंधक को मिला था वह दो दिन पहले ही 20 दिसंबर को खिलाड़ियों को दिल्ली में छोड़ कर वापस पेण्ड्रा अपने घर लौट आई। सभी खिलाड़ी इसी तरह ठंड में ठिठुरते सफर करते रहे। खिलाड़ी जब पेंड्रारोड रेलवे स्टेशन में उतरे तो बुरी तरह खांस रहे थे। उन्होंने बताया कि रिजर्वेशन नहीं मिलने से पूरी रात वे सो नहीं पाए और टॉयलेट के पास जहां काफी बदबू थी, वहीं बैठकर पूरी रात सफर किया है। पूरे मामले पर जब प्रदेश प्रबंधक सीमा डेविड से बात की गई तो उन्होंने टिकट कन्फर्म ना होने का ठीकरा रेलवे प्रशासन के सिर ही फोड़ दिया।
रिपोर्ट - सिकंदर अली