छत्तीसगढ़ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी वह याचिका वापस ले ली जिसमें उसने प्रवर्तन निदेशालय की एक कार्रवाई को उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर बताया था। दरअसल धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय छत्तीसगढ़ सरकार के कुछ अधिकारियों के खिलाफ जांच कर रही थी। इस जांच के विरोध में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए बताया कि यह मामला प्रवर्तन निदेशालय के अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
क्या है पूरा मामला?
साल 2022 में छत्तीसगढ़ में कोयले पर अवैध टैक्स लगाने और भ्रष्ट तरीकों से लोक सेवकों को प्रभावित करने के आरोप में आयकर विभाग ने एक शिकायत दर्ज कराई थी। इसी FIR से संबंधित यह मामला है। इसमें प्रवर्तन निदेशालय ने यह दावा किया है कि, साल 2019 से 2021 के बीच राज्य में कोयला ढुलाई को लेकर एक बड़ा घोटाला किया गया है। इस दौरान कुछ नेता, अधिकारी और अन्य लोग की एक टीम कथित तौर पर अवैध टैक्स वसूलने का काम कर रही थी।
छत्तीसगढ़ सरकार ने याचिका में क्या कहा?
राज्य सरकार ने अपनी दायर याचिका में कहा था कि, 'प्रवर्तन निदेशालय ने बेंगलुरु में दर्ज FIR के आधार पर 29 सितंबर 2022 को रायपुर में Enforcement Case Information Report दर्ज कर छत्तीसगढ़ के अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू की।'
सरकार ने कोर्ट में याचिका में कार्रवाई को अवैध और ईडी के अधिकार क्षेत्र से बाहर बताते हुए उनके द्वारा दायर ECIR को रद्द करने की मांग की थी। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट से यह आग्रह किया गया था कि इस जांच में प्रवर्तन निदेशालय ने जितनी भी कार्रवाई की है, उसे असंवैधानिक घोषित कर दिया जाए।
सरकार ने याचिका वापिस ली
बुधवार यानी 27 सितंबर को न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एस.वी.एन भट्टी की पीठ के सामने छत्तीसगढ़ के वकील सुमीर सोढ़ी ने बताया कि, उन्हें यह याचिका वापस लेने के लिए कहा गया है। इसके बाद कोर्ट ने उनको याचिका वापिस लेने की अनुमति दे दी।
(इनपुट: पीटीआई)
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