Friday, January 10, 2025
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छत्तीसगढ़: हसदेव नदी के किनारे 28 करोड़ साल पुराना समुद्री जीवाश्म मिला, मनेन्द्रगढ़ में बनेगा फॉसिल्स पार्क

हसदेव नदी के किनारे 28 करोड़ साल पुराना समुद्री जीवाश्म मिलने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार मनेन्द्रगढ़ जिले में एशिया के सबसे पुराने जीवाश्म का फॉसिल्स पार्क बनाने की तैयारी कर रही है। हसदेव नदी के स्थान पर पहले ग्लेशियर हुआ करता था।

Edited By: Shakti Singh
Published : Jan 10, 2025 15:34 IST, Updated : Jan 10, 2025 15:34 IST
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Image Source : META AI प्रतीकात्मक तस्वीर

छत्तीसगढ़ में हसदेव नदी के किनारे 28 करोड़ साल पुराना समुद्री जीवाश्म मिला है। छत्तीसगढ़ सरकार इसे एक मैरीन फॉसिल्स पार्क के रूप में विकसित करने की तैयारी कर रही हैं। यह पार्क न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे एशिया का गौरव बनने वाला है। इसके फॉसिल्स पार्क के निर्माण के साथ ही मनेन्द्रगढ़ जिला अब इतिहास और प्रकृति प्रेमियों के लिए नया आकर्षण बनने जा रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी पर जीवन की कहानी करोड़ों साल पहले लिखी गई थी और मनेन्द्रगढ़ का यह जीवाश्म उसी कहानी का सजीव प्रमाण है। जीवाश्मों में बाइवाल्व मोलस्का, युरीडेस्मा, एवीक्युलोपेक्टेन, और क्रिनॉएड्स जैसे समुद्री जीवों के अवशेष मिले हैं, जो धरती के पुराने जलवायु और भूगर्भीय बदलावों की गवाही देते हैं।

28 करोड़ साल पहले, वर्तमान हसदेव नदी के स्थान पर एक विशाल ग्लेशियर हुआ करता था। भूगर्भीय बदलावों के चलते, यह क्षेत्र ‘टाथिस समुद्र’ का हिस्सा बना और समुद्री जीव-जंतु यहां तक पहुंचे। हालांकि ये जीव धीरे-धीरे विलुप्त हो गए, लेकिन उनके अवशेष आज भी यहां मौजूद हैं।

1954 में हुई थी इस जगह की खोज

1954 में पहली बार इस क्षेत्र की खोज भूवैज्ञानिक एसके घोष ने की थी। इसके बाद, 2015 में बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियो साइंसेज, लखनऊ ने इन जीवाश्मों के महत्व की पुष्टि की। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने 1982 में इस क्षेत्र को नेशनल जियोलॉजिकल मोनूमेंट्स के रूप में मान्यता दी। मैरीन फॉसिल्स पार्क के रूप में विकसित होने के बाद यह क्षेत्र एक बायोडायवर्सिटी हेरिटेज साइट के रूप में पर्यटकों और वैज्ञानिकों के लिए खुल जाएगा। यहां आने वाले सैलानी करोड़ों साल पुराने जीवों की उत्पत्ति और उनके विकास की कहानी को देख और समझ सकेंगे।

छत्तीसगढ़ को मिल सकती है नई पहचान

छत्तीसगढ़ सरकार इस परियोजना को विशेष महत्व दे रही है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, कोलकाता और बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट, लखनऊ की टीमों ने इस क्षेत्र का अध्ययन कर इसकी संभावनाओं का जायजा लिया है। उम्मीद है कि यह पार्क छत्तीसगढ़ को वैश्विक नक्शे पर एक नई पहचान देगा।

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