Highlights
- सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों को आपस में विलय
- मोदी सरकार का चार बड़े बैंक बनाने का फैसला
- अहम फैसले से अर्थव्यवस्था को होगा फायदा
PM Modi govt 8 years: मोदी सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों को आपस में विलय कर चार बड़े बैंक बनाने का फैसला किया था। सरकार ने देश में विश्वस्तरीय बड़े बैंक बनाने के उद्देश्य से सार्वजनिक क्षेत्र के कई बैंकों को मिलाकर बड़े बैंक बनाने का कदम उठाया है। इसी के तहत लिए गए निर्णय के बाद इलाहाबाद बैंक का विलय इंडियन बैंक में और आंध्र बैंक तथा कार्पोरेशन बैंक का विलय यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में किया गया। 1 अप्रैल 2020 को 10 बैंकों के विलय से चार बड़े बैंक बने जो देश के वित्तीय क्षेत्र का सबसे बड़ा विलय बताया गया।
क्यों किया मोदी सरकार ने बैंको का विलय?
बैंकों का 1972 में राष्ट्रीयकरण के बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में बैंकों का विलय करने की शुरुआत की थी। सबसे पहले एसबीआई में सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक का विलय किया गया था। इसके बाद सरकार ने पिछले साल नवंबर में बैंक ऑफ बड़ौदा में देना बैंक व विजया बैंक का विलय किया था।
इसके पीछे एक अहम कारण ये भी बताया जाता है कि कई सरकारी बैंकों का एनपीए काफी बढ़ गया है। ऐसे में सरकार के पास विलय करना मजबूरी है। जानकारों के मुताबिक कई बैंकों का एनपीए सात फीसदी के पार जा चुका है। ऐसे में विलय करने से सरकार बैंकों के एनपीए को कम कर सकेगी।
रिसर्च कंपनी कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग के सीईओ राजीव सिंह ने बताया कि बैंकों के लिए एनपीए बड़ी समस्या है। बैंकों के विलय से एनपीए की समस्या से निजात मिलेगी। अभी सरकारी बैंकों का 88 फीसदी बिजनेस इन 10 बैंकों से चार बैंकों के पास चला जाएगा। इससे इन 10 सरकारी बैंकों का एनपीए पांच से सात फीसदी तक कम होने की उम्मीद है।
वैश्विक स्तर के बैंक बनाना लक्ष्य
बैंकों के विलय की योजना सबसे पहले दिसंबर 2018 में पेश की गई थी, जब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने कहा था कि अगर सरकारी बैंकों के विलय से बने बैंक इच्छित परिणाम हासिल कर लेते हैं तो भारत के भी कुछ बैंक वैश्विक स्तर के बैंकों में शामिल हो सकते हैं।
अर्थव्यवस्था के लिए बूस्टर डोज
इस विलय का एक कारण ये भी माना जा रहा है कि किसी भी अच्छी अर्थव्यवस्था (जिनकी जीडीपी काफी अच्छी है) वाले देशों में ज्यादा बैंक नहीं होते हैं। कई देशों में माना जाता है कि अर्थव्यवस्था को सही तौर पर चलाने के लिए पांच से 10 बड़े बैंक भी पर्याप्त हैं। सरकार ने पहले ही बजट में घोषणा की थी, कि वो पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने पर काम कर रही है। मजबूत अर्थव्यवस्था के लिए जितने कम बैंक होंगे, उतना ही देश को फायदा होगा।