वाशिंगटन: भारत में निवेश के बेहतर वातावरण और बाहरी झटकों से अप्रभावित रहने की क्षमता के कारण देश की विकास दर मौजूदा कारोबारी साल में 7.5 फीसदी रहने और अगले कारोबारी साल में 7.8 फीसदी रहने की संभावना है। यह बात विश्व बैंक ने कही। बैंक के मुताबिक, तेल मूल्य कम रहने और वैश्विक वित्तीय झटके से निरपेक्ष रहने की वजह से विकास दर बढ़ने की संभावना है। बैंक ने कहा, "हालांकि महत्वपूर्ण सुधार में देरी से निवेशक माहौल प्रभावित हो सकता है। कमजोर व्यापारिक प्रदर्शन और वित्तीय क्षेत्र की अनिश्चितता से भी विकास दर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।"
बैंक की अर्धवार्षिक रिपोर्ट 'साउथ एशिया इकॉनॉमिक फोकस' के मुताबिक, सेवा क्षेत्र में विकास, घरेलू खपत, निवेश में लगातार वृद्धि जैसे कारणों से विकास दर बेहतर रहेगी। वित्तीय अनिश्चतता से कम संबंध रहने की वजह से अधिकतर दक्षिण एशियाई देशों को नीतिगत क्षेत्र में कुछ सुविधा की स्थिति मिल गई है। बैंक ने रपट में कहा है कि दक्षिण एशिया दुनिया में सबसे अधिक विकास वाला क्षेत्र बना रहेगा। इस क्षेत्र की विकास दर 2015 के सात फीसदी से बढ़कर 2016 में 7.4 फीसदी हो जाएगी।
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