नई दिल्ली: भारत में सोने की मांग अप्रैल-जून 2015 की तिमाही के दौरान 25 प्रतिशत घटकर 154.5 टन रही और ऐसा पहली तिमाही में बेमौसम बारिश से फसल खराब होने और शादी के मुहूर्त कम होने के कारण हुआ। यह बात विश्व स्वर्ण परिषद WGC ने कही। डब्ल्यूजीसी ने 2015 की दूसरी तिमाही में सोने की मांग से जुड़ी रिपोर्ट में कहा कि साल 2014 की दूसरी तिमाही के दौरान मंग 204.9 टन रही।
समीक्षाधीन तिमाही में मूल्य के लिहाज से सोने की मांग 26 प्रतिशत घटकर 37,590.2 करोड़ रुपए जो 2014 की दूसरी तिमाही में 50,778.1 करोड़ रुपए थी। डब्ल्यूजीसी के भारतीय परिचालन के प्रबंध निदेशक सोमसुंदरम पीआर ने यहां बातचीत में कहा भारत में शेयर बाजार में तेजी के बीच अप्रैल से जून की अवधि में उपभोक्ता मांग 25 प्रतिशत गिरकर 154 टन रही जबकि पहली तिमाही बेमौसम बारिश से प्रभावित रही जिससे फसलों को नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता मांग में गिरावट के कारण दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों के छोटे जौहरी प्रभावित हुए।
वहीं दुनियाभर में सोने की मांग दूसरी तिमाही में वैश्विक स्तर पर 12 प्रतिशत घटकर 914.9 टन रह गई और ऐसा मुख्य तौर पर भारत तथा चीन में उपभोक्ताओं की ओर से मांग घटने के कारण हुआ। यह बात विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) ने कही। डब्ल्यूजीसी की 2015 की दूसरी तिमाही में सोने की मांग से जुड़ी रिपोर्ट के मुताबिक 2014 की दूसरी तिमाही में मांग 1,038 टन थी। रिपोर्ट के मुताबिक जेवरात खरीदार और छड़ों तथा सिक्कों में रचि रखने वालों की ओर से मांग बढ़ने से यूरोप और अमेरिका में मांग बढ़ी। WGC के बाजार सूचना प्रमुख एलिस्टेयर ह्यूइट ने कहा यह तिमाही सोने के लिए चुनौतीपूर्ण रही विशेष तौर पर एशिया में क्योंकि भारत और चीन में मांग में गिरावट दर्ज हुई।
रिपोर्ट में कहा गया कि एशिया में उपभोक्ताओं द्वारा कम खर्च करने से कुल जेवरात की मांग 14 प्रतिशत घटकर 513 टन रही जो 2014 में 595 टन थी। समीक्षाधीन अवधि में चीन में आर्थिक वृद्धि में नरमी और शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के कारण जेवरात की मांग पांच प्रतिशत घटकर 174 टन रही।
इधर भारत में जेवरात की मांग 23 प्रतिशत घटकर 118 टन रही। देश में पहली तिमाही के दौरान बेमौसम बारिश और दूसरी तिमाही में सूखे के कारण ग्रामीण आय प्रभावित हुई जिससे सोने की मांग पर असर हुआ। इसके अलावा शादी के लिए शुभ मुहुर्त न होने से भी शादी से जुड़ी सोने की मांग असाधारण रूप से कम रही। डब्ल्यूजीसी के प्रबंध निदेशक ने सोमसुंदरम ने कहा कि पूर्वी क्षेत्र की तरह यूरोप और अमेरिका में ज्यादा वजनी जेवरात की मांग बढ़ रही है। उन्होंने कहा साल के शेष हिस्से में जेवरात बाजार का परिदृश्य अच्छा नजर आता है क्योंकि भारत में शादी और त्योहारों का मौसम आने वाला है। इसके अलावा सोने की कीमत घटने से मूल्य के प्रति संवेदनशील बाजारों में खरीदारी बढ़ती है और इसके शुरआती संकेत एशिया तथा पश्चिम एशिया में नजर आ रहे हैं।
सोमसुंदरम ने कहा कि हालांकि, अक्षय तृतीया जैसे त्योहारों के दौरान मांग बहुत अधिक रही लेकिन लोगों ने मानसून कमजोर होने की आशंका के मद्देनजर सतर्क रुख अपनाया। समीक्षाधीन अवधि में कुल जेवरात की मांग 23 प्रतिशत घटकर 118 टन रही जो पिछले साल की इसी तिमाही में 15.26 टन थी। मूल्य के लिहाज से जेवरात की मांग 24 प्रतिशत घटकर 28,703 करोड़ रुपए रही जो 2014 की इसी तिमाही में 37,703 करोड़ रुपए थी। इसी तरह निवेश के तौर पर सोने की मांग भी 30 प्रतिशत घटकर 36.5 टन रही जो 2014 की दूसरी तिमाही में 52.3 टन थी।
मूल्य के लिहाज से निवेश के तौर पर सोने की मांग 31 प्रतिशत घटकर 8,887.2 करोड़ रुपए रही जो पिछले साल की इसी अवधि में 12,971.1 करोड़ रुपए थी। भारत में 2015 की दूसरी तिमाही के दौरान 24 टन पुराने सोने का दोबारा उपयोग हुआ जो 2014 की दूसरी तिमाही में 22.5 टन था।
सोमसुंदरम ने कहा कि आने वाले दिनों में देश के ज्यादातर भागों में अच्छी बारिश हुइ जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मदद मिलेगी। पूरे साल के लिए सोने की मांग 900-1,000 टन के दायरे में रह सकती है।
उन्होंने कहा साल की शेष अवधि के लिए हमारी उम्मीद है कि कई वजहों से मांग बढ़ेगी। आने वाले शादी और त्योहारी मौसम में भारतीय जेवरात बाजार बेहतर रहने की संभावना और पिछले कुछ सप्ताह में मांग में तेजी दर्ज हुई क्योंकि भारतीय उपभोक्ता सोने के मूल्य में नरमी का फायदा उठा रहे हैं। इस साल पिछली दो तिमाहियों के दौरान आयात के संबंध में उन्होंने कहा कि इस साल दूसरी तिमाही के दौरान यह पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 25-30 प्रतिशत अधिक रहा। पिछले साल की दो तिमाहियों में सोने की मांग 436 टन रही।