नई दिल्ली: रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के अनुसार बारिश कम होने के कारण कुल खाद्यान्न उत्पादन में एक तिहाई से भी अधिक का योगदान करने वाले कम से कम चार राज्य और कुल उत्पादन का एक चौथाई भाग का योगदान करने वाली पांच फसलें प्रभावित हुई हैं। क्रिसिल के कमजोर बरसात प्रभाव मानदंड (DRIP) के अनुसार बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे चार राज्य कमजोर बारिश की स्थिति से गंभीरता से प्रभावित होंगे और ये राज्य भारत में कुल खाद्यान्नों के उत्पादन में 34 प्रतिशत का योगदान करते हैं।
कमजोर मानसून के कारण ज्वार, सोयाबीन, तुअर, मक्का और कपास जैसी फसलें सर्वाधिक प्रभावित हैं और कपास को छोड़कर यह चार खाद्य फसलें कुल अनाज और तिलहन उत्पादन में 26 प्रतिशत का योगदान करती हैं।
फसल वर्ष 2013-14 (जुलाई-जून) में देश में खाद्यान्न की पैदावार 26 करोड़ 50 लाख 40 हजार टन रहा था। खाद्यान्न भंडार में मुख्य हिस्सा गेहूं, चावल, मोटे अनाज और दालों का होता है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया, 'देश में 2014-15 में कुल खाद्यान्न उत्पादन 25 करोड़ 26 लाख 80 हजार टन रहने का अनुमान है जोकि इससे पिछले साल के रेकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन 26 करोड़ 50 लाख 40 हजार टन के मुकाबले 1 करोड़ 23 लाख 60 हजार टन कम है।'
वर्ष 2014-15 के लिए चौथा अग्रिम अनुमान जारी करते हुए कृषि मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि 2014 में खराब मॉनसून और फरवरी-मार्च, 2015 के दौरान बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि के चलते ज्यादातर फसलों का उत्पादन घटा है। वर्ष 2014-15 में चावल का उत्पादन घटकर 10 करोड 48 लाख टन रहने का अनुमान है, जोकि इससे पिछले वर्ष 10 करोड़ 66 लाख 50 हजार टन था।
कृषि मंत्रालय ने कहा, 'उल्लेखनीय है कि 2014-15 के दौरान खराब मॉनसून के चलते खरीफ की फसल प्रभावित हुई। फरवरी-मार्च, 2015 के दौरान बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि का रबी की फसलों के उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ा।' बयान में कहा गया, 'खरीफ व रबी के सीजन में प्रतिकूल स्थितियों के चलते देश में ज्यादातर फसलों का उत्पादन 2014-15 के दौरान घटा।'