अबू धाबी: आर्थिक संबंधों को नई उंचाइयों पर ले जाने के लिए संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने भारत में अपने निवेश को समर्पित आधारभूत संरचना कोष के जरिए बढ़ाकर 75 अरब डॉलर यानी 5 लाख करोड़ रुपए तक करने पर आज सहमति जताई। वहीं दोनों देश अगले पांच साल में द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाकर लगभग 100 अरब डॉलर करेंगे। इसके साथ ही दोनों देश उर्जा क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी के लिए सहमत हुए हैं। इस साझेदारी के तहत यूएई, भारत में पेट्रोलियम क्षेत्र में शामिल होगा और तीसरे देशों में गठजोड़ किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और यूएई के शहजादे मोहम्मद बिन जायेद अल नह्यान ने भारत-यूएई संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी में बदलने का निर्णय किया। साथ ही दोनों नेता यूएई में ढांचागत विकास में भारतीय कंपनियों की भागीदारी को सुगम बनाने के लिए भी सहमत हुए।
दोनों नेताओं के बीच बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों देश आपसी व्यापार को और प्रोत्साहित करेंगे और इसके लिए अपने क्षेत्रों और उसके बाहर भी सहयोग करेंगे। अगले पांच वर्षो में द्विपक्षीय व्यापार में 60 प्रतिशत के वृद्धि के लक्ष्य के साथ दोनों देशों ने आर्थिक सहयोग को विस्तार देने का निर्णय किया है।
उल्लेखनीय है कि 1970 के दशक में दोनों देशों के बीच 18 करोड़ डॉलर का सालाना कारोबार होता था जो अब बढ़कर 60 अरब डॉलर हो गया है। वर्ष 2014-15 में चीन और अमेरिका के बाद यूएई, भारत का तीसरा सबसे बढ़ा व्यापारिक साझेदार है। इसमें 60 प्रतिशत बढ़ोतरी से द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर 100 अरब डॉलर (6,50,000 करोड़ रुपए) हो जाएगा। यूएई ने भारत द्वारा व्यापार और निवेश के क्षेत्रों में नई पहल किए जाने के चलते इसे निवेश के नए अवसरों वाला देश स्वीकार किया और दोनों देशों ने यूएई की निवेश संस्थाओं द्वारा भारत में उनके निवेश को बढ़ाने को प्रोत्साहित करने का निर्णय किया। इसके लिए यूएई-भारत ढांचागत कोष का गठन होगा जिसका लक्ष्य इसे 75 अरब डॉलर तक करने का रखा गया है। संयुक्त बयान के अनुसार, इससे भारत में रेलवे, बंदरगाह, सड़क, हवाई अड्डा, औद्योगिक गलियारे और पार्क जैसी नई पीढ़ी की आधारभूत संरचना को तेजी से बढ़ाने में मदद मिलेगी। अप्रैल 2000 और मई 2015 के दौरान भारत को यूएई से 3.09 अरब डॉलर का निवेश मिला जो कि इस अवधि में भारत को मिले कुल FDI का एक प्रतिशत रहा। इससे पहले मोदी ने आज यूएई के शीर्ष कारोबारी नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में अभी एक हजार अरब डॉलर के निवेश की क्षमता है और उन्होंने यूएई के निवेशकों को भारत में निवेश करने का न्यौता दिया। इसके अलावा यूएई छोटे और मध्यम उद्यमों में भारत की विशेषज्ञता का इस्तेमाल करेगा जिससे कि यूएई में विविधतपूर्ण औद्योगिक आधार तैयार हो सके। इससे भारतीय उद्यमों को भी लाभ होगा।