लंदन: कालाधन को लेकर भारत के नए कानून से भयभीत कई स्विस एवं यूरोपीय बैंकों ने अपने भारतीय ग्राहकों से यह कहना शुरू कर दिया है कि वे भारत में कर अधिकारियों के समक्ष अपने खातों के बारे में खुलासा करें। इन बैंकों को कालाधन को बढावा देने का आरोपी बनाए जाने का भय है।
इन बैंकों में स्विट्जरलैंड व लंदन मुख्यालय वाले बैंक शामिल हैं जो अपने भारतीय ग्राहकों को विदेशों में जमा अघोषित संपत्तियों का खुलासा करने के लिए भारतीय कर अधिकारियों द्वारा उपलब्ध कराए गए एक बार की अनुपालन खिड़की का लाभ उठाने को कह रहे हैं।
इनमें से कुछ बड़े वित्तीय संस्थानों के कार्यकारियों ने कहा कि ये बैंक अपने ग्राहकों से नया शपथ पत्र भरने को भी कह रहे हैं जिसमें दिया गया है कि वे अपने देशों में सभी कानूनों का अनुपालन कर रहे हैं।
नए कानून के तहत, विदेशों में अघोषित संपत्तियों का खुलासा करने के लिए तीन महीने की अनुपालन खिड़की उपलध कराई गई है। यह मियाद अगले महीने समाप्त हो रही है। यदि इस दौरान भारतीय विदेशों में जमा अपनी अघोषित संपत्ति का खुलासा करते हैं तो उन पर 30 प्रतिशत कर और 30 प्रतिशत जुर्माना लगा कर उन्हें छुट्टी दे दी जाएगी और वे कानूनी कार्रवाई से बच जाएंगे।
इस अनुपालन खिड़की की मियाद खत्म होने के बाद अघोषित विदेशी संपत्ति रखने वालों को 30 प्रतिशत कर देना होगा और उस पर 90 प्रतिशत जुर्माना लगाया जाएगा और उसे 10 साल तक की जेल की सजा भी होगी।
इस कानून में कर चोरी को उकसावा देने वालों पर दंड का प्रावधान भी है। यह प्रावधान हर उस व्यक्ति या इकाई पर लागू होगा जो किसी भी तरह से दूसरे व्यक्ति को इस कानून के तहत देय कर से जुड़े ऐसे खाते या ब्यौरे के बारे में गलत बयानी के लिए उकसाता है और वह यह जानता है कि वह ब्योरा या घोषणा असत्य है या वह यह नहीं मानता कि वह सत्य है।
कर चोरी में अवप्रेरक की भूमिका निभाने वाले को छह माह से सात वर्ष तक की कठोर कारावास की सजा मिल सकती है और उस पर जुर्माना भी हो सकता। भारत सरकार स्विट्रलैंड और अन्य देशों में भारतीयों द्वारा जमा कालेधन को वापस लागने के लिए जोरदार प्रयास कर रही है। सूत्रों के अनुसार स्विट्जरलंैड के बैंक भारतीय ग्राहकों से इस आशय का नया हलफनामा मांग रहे है कि उन्होंने इस देश में अपने खातों के धन पर सभी कर अदा कर रखे हैं।
भारत सरकार ने एचएसबीसी की जिनेवा शाखा में खाता रखने वाले अपने नागरिकों के मामले में कार्रवाई पहले ही शुरू कर रखी है। उसे इनके बारे में सूचना फा्रंस सरकार से कुछ साल पहले मिली थी।
भारतीय अधिकारियों ने एचएसबीसी को इस मामले में सहयोग न करने के आरोप में कार्रवाई के नोटिस भेजे हैं। इन नोटिसों की ताजा स्थिति का पता नहीं लगाया जा सका है।
स्विट्रलैंड अब भारत सहित विभिन्न देशों के साथ एक बहुपक्षीय समझौते के तहत कर सूचनाओं के स्वचालित आदान प्रदान की व्यवस्था की ओर बढ रहा है। दोनों देशों में कालेधन से निपटने के मामले में सहयोग के लिए उच्चस्तरीय बातचीत भी चल रही है।