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कंपनियां नई सूचना दो दिन के अंदर वेबसाइट पर डालें: SEBI

नई दिल्ली: पारदर्शिता बढ़ाने के लिए बाजार नियामक SEBI ने सभी सूचीबद्ध कंपनियों से कहा कि वे कोई भी नई सूचना अपनी वेबसाइट पर दो कार्यदिवस के भीतर उपलब्ध कराएं। जो सूचनाएं उपलब्ध कराई जानी

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Updated on: September 20, 2015 12:42 IST
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SEBI ने कहा कंपनियां नई सूचना दो दिन के अंदर वेबसाइट पर डालें

नई दिल्ली: पारदर्शिता बढ़ाने के लिए बाजार नियामक SEBI ने सभी सूचीबद्ध कंपनियों से कहा कि वे कोई भी नई सूचना अपनी वेबसाइट पर दो कार्यदिवस के भीतर उपलब्ध कराएं। जो सूचनाएं उपलब्ध कराई जानी हैं उनमें मीडिया कंपनी या उनकी सहयोगी कंपनियों के साथ समझौते का ब्योरा भी शामिल है। इस पहल से निवेशकों को कंपनियों और उनके कारोबार के बारे में ताजा सूचना प्राप्त करने में मदद मिलेगी। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने कहा सूचीबद्ध इकाइयां किसी भी तरह की सूचना में बदलाव की तारीख से दो कार्यदिवस के भीतर बदलाव करेंगी।

सूचीबद्ध कंपनियों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि वेबसाइट की सूचना सही है। यह निर्देश SEBI के नए सूचीबद्धता नियम का हिस्सा है। इससे पहले के सूचीबद्धता समझौते में वेबसाइटों पर सूचना की उपलब्धता का जिक्र तो है लेकिन ऐसा कितने दिन में होना चाहिए इसका ब्योरा नहीं है। कंपनी के नाम में बदलाव के संबंध में SEBI ने कहा है कि वेबसाइट पर साल भर तक नए और पुराने दोनों नामों का जिक्र होना चाहिए।

SEBI को 23 लाख रुपए का भुगतान कर एक व्यक्ति ने मामला सुलझाया

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड SEBI को 23 लाख रुपए से अधिक का निपटान शुल्क अदा कर एक व्यक्ति, अनिल के अग्रवाल ने कथित भेदिया कारोबार मानदंड के उल्लंघन का मामला सुलझाया। SEBI ने भेदिया कारोबार निषेध (PIT) नियम के उल्लंघन के मामले में अधिनिर्णय प्रक्रिया शुरू की थी। अग्रवाल पर आरोप था कि उन्होंने पावर ग्रिड कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के शेयर 2007-2010 के दौरान सात दिन बेचे और ये शेयर या तो पांच लाख रुपए से अधिक थे या फिर हस्तांरित शेयरों की संख्या 25,000 से अधिक थी। अग्रवाल ने कंपनी की हिस्सेदारी और संबंधित शेयर के हस्तांतरण के संबंध में खुलासा नहीं किया। उन्होंने इसके संबंध में कंपनी से भी मंजूरी नहीं ली थी जो सूचीबद्ध कंपनियों में भेदिया कारोबार निषेध से जुड़ी आदर्श संहिता से तहत आवश्यक है। SEBI में इस संबंध में कार्रवाई चल रही थी, इसी बीच उन्होंने सेबी के सहमति आदेश प्रणाली के तहत निपटारा शुल्क के तौर पर 23,29,625 लाख रुपए का भुगतान करने की पेशकश की। 

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