नई दिल्ली: रिजर्व बैंक द्वारा सहारा इंडिया फाइनेंशियल कार्प लि. (SIFCL) गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) का लाइसेंस रद्द करने के एक दिन बाद सहारा ने कहा है कि यह फैसला कंपनी और केंद्रीय बैंक के बीच सहमति से तय व्यवस्था के तहत किया गया है। समूह ने कहा कि एक बार उच्चतम न्यायालय द्वारा उसके बैंक खातों व संपत्तियों पर रोक हटाने और उसके चेयरमैन सुब्रत राय के न्यायिक हिरासत से बाहर आने के बाद वह इस तरह की बाधाओं से उबर जाएगा। बयान में कहा गया है कि सहारा का आधार मजबूत है। इसका पता इस बात से भी चलता है कि मौजूदा संकट के दौरान में भी वह खड़ा हुआ है।
समूह ने कहा कि रिजर्व बैंक का ताजा फैसला सहारा के लिए किसी भी प्रकार से कोई झटका नहीं है और रिजर्व बैंक ने 2008 में सहारा की एक कंपनी सहारा इंडिया फाइनेंशियल कारपोरेशन के NBFC कारोबार पर प्रतिबंध का आदेश जारी किया था। रिजर्व बैंक के इस आदेश के बाद सहारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चली गई थी और बाद में उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय बैंक को कंपनी को नए सिरे से सुनवाई का मौका देने को कहा था। इसके बाद SIFCL और रिजर्व बैंक के बीच कई बैठकों के बाद आपसी सहमति से कंपनी के NBFC कारोबार की अवधि तय की थी। 2011 से SIFCL ने नई जमा लेना बंद कर दिया और 2015 में NBFC को बंद कर दिया।
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