कमजोर होते रुपए को महज डॉलर की मजबूती या अखबार की सुर्खियों तक मत देखिए बल्कि यह समझने की कोशिश कीजिए कि रुपए की गिरती साख सड़क चलते आम आदमी से लेकर देश की सरकार तक के लिए चिंता की बात है। रुपए का कमजोर होना जहां एक ओर महंगाई की आहट है वहीं दूसरी ओर देश के बढ़ते राजकोषीय घाटे की जड़ भी कमजोर रुपए में ही निहित है।
रुपए के घटते रुतबे का कारण-
दुनियाभर में किसी भी देश की मुद्रा का मजबूत या कमजोर होना अर्थव्यवस्था का आईना माना जाता है। अर्थव्यवस्था की सेहत पर ही रुपए की चाल निर्भर करती है। अमेरिका में मंदी की विदाई और जल्द ब्याज दरें बढ़ने की संभावना डॉलर को बल दे रही है। वहीं क्रूड ऑयल की कीमतों में वापसी, सोने के बढ़ता आयात और शेयर बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों की भारी बिकवाली भारतीय रुपए के लिहाज से नकारात्मक है। सीधे तौर पर कहें तो देश से भारी मात्रा में डॉलर का जाना रुपए को कमजोर करता है। अगर हम आयात ज्यादा करेंगे तो हमें डॉलर ज्यादा चुकाना होगा और निर्यात कम करेंगे तो हमारे देश में रुपए की आवक कम होगी। उदाहरण से समझें हम अपनी जरुरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेश से आयात करते हैं। कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से हमारा आयात बिल बढ़त जाएगा। ऐसी स्थिति में डॉलर का मजबूत होना लाजिमी है।
अब समझिए आम आदमी के लिए रुपए के 64 होने का क्या मतलब है
महंगाई की आहट
रुपए की गिरावट कच्चे तेल के आयात को महंगा करती है। महंगा कच्चा तेल मतलब पेट्रोल और डीजल का महंगा होना। डीजल के महंगे होने से ट्रांसपोर्टेशन लागत बढ़ जाती है और सब्जियां और फल महंगे हो जाते हैं। इस तरह कमजोर रुपया महंगाई को दावत देता है।
विदेश में बच्चों की पढ़ाई होगी महंगी-
विशेषज्ञ कयास लगा रहे हैं कि रुपए में अभी और गिरावट देखने को मिलेगी और यह गिरावट रुपए को डॉलर के मुकाबले 66 से 67 के स्तर तक पहुंचा सकती है। ऐसे में अगर आप अपने बच्चे को पढ़ाई के लिए विदेश भेजना चाहते हैं तो आपको इसके लिए अब पहले से ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे। साथ ही जो बच्चे पहले से विदेश में पढ़ रहे हैं उनका मासिक खर्च अब भारत में रहने वाले माता-पिता पर भारी पड़ेगा।
महंगी हो सकती है आपकी कार और घर की EMI-
रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती करेगा या नहीं यह महंगाई की दर पर निर्भर करता है। महंगाई बढ़ने की संभावना से रिजर्व बैंक रेपो रेट में बढ़ोतरी कर सकती है। जिससे आपके घर और गाड़ी की ईएमआई बढ़ने की संभावना बनती है।
इंपोर्टेड चीजें होंगी महंगी-
रुपए की कमजोरी इलेक्ट्रानिक्स उत्पादों की कीमत में भी इजाफा होने का खतरा रहा है। रुपए की हालत पतली होने से रसोई गैस और खाद्य तेल भी महंगा हो सकता है।
रुपए की कमजोरी सरकार का भी सिरदर्द-
अगर रुपया कमजोर होता है तो भारत का आयात शुल्क बढ़ जाएगा जो देश के ट्रेड डेफिसिट में इजाफा कर देगा। इससे भी सरकार की सिरदर्दी बढ़ सकती है।