नई दिल्ली: बैंकरों का अनुमान है कि रिजर्व बैंक को मौद्रिक नीति की समीक्षा में निवेश और आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन के लिए नीतिगत दरों में कटौती कर सकता है। मुद्रास्फीति निचले स्तर पर है और राजकोषीय घाटा नियंत्रण में है, ऐसे में रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश बनी है।
उद्योग और बैंकरों को उम्मीद है कि सरकार 2014-15 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के चार प्रतिशत के अंदर रखने में कामयाब रही है, जिससे ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश बनी है।
इंडियन बैंक्स एसोसिएशन के चेयरमैन टी एम भसीन ने कहा कि मुद्रास्फीति नकारात्मक दायरे में है। ऐसे में नीतिगत दरों में कटौती की संभावना है। इसी तरह की राय जताते हुए यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया के प्रबंध निदेशक व मुख्य कार्यकारी अधिकारी पी श्रीनिवास ने कहा, ‘खुदरा मुद्रास्फीति की स्थिति अब बेहतर है। मुझे ब्याज दरों में चौथाई फीसद कटौती की उम्मीद है। यदि वे अभी ऐसा नहीं करते हैं, तो बाद में अल नीनो प्रभाव की वजह से यह करना कठिन होगा।’