नई दिल्ली: अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने गैर-प्रमुख परिसंपत्तियां बेचकर ऋण घटाने की योजना के तहत अपना सीमेंट कारोबार बेचने की तैयारी कर ली है। 31 मार्च 2015 तक रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर पर कुल 25,100 करोड़ रुपए का ऋण था। कंपनी ने अपने सीमेंट कारोबार के लिए खरीददारों को ढूंढ़ने के लिए मॉर्गन स्टैनली और एसबीआई को अपना मर्चेंट बैंकर नियुक्त किया था। सूत्रों के मुताबिक 10 वैश्विक कंपनियों ने रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की पूर्ण स्वामित्व वाली रिलायंस सीमेंट की 100 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की इच्छा जाहिर की है। इनमें आयरलैंड की सीआरएच, मेक्सिको की सीमेक्स, पैरिस की वीकैट और नाइजीरिया की डैनगोट, हाइडलबर्ग, जीई, ब्लैकस्टोन और केकेआर शामिल हैं। कई घरेलू कंपनियों ने भी इसमें अपनी रुचि दिखाई है। इनमें ईमामी, डालमिया सीमेंट भारत, इंडिया सीमेंट और श्री सीमेंट शामिल हैं। इसके अलावा वैश्विक प्राइवेट इक्विटी फंड हाउसेस भी इस सौदे के लिए आगे आए हैं।
रिलायंस सीमेंट, रिलायंस इंफ्रा की पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी कंपनी है। इसकी शुरुआत 2007 में हुई थी। कंपनी ने सीमेंट बिजनेस की शुरुआत अपने पावर बिजनेस की ग्रोथ को देखकर की थी। कंपनी के सासन पावर प्रोजेक्ट से निकलने वाली राख को प्रमुख कच्चे माल के तौर पर उपयोग किया जा रहा है। कंपनी को सीमेंट कारोबार की बिक्री से 5500-6000 करोड़ रुपए की राशि मिलने की उम्मीद है।
रिलायंस सीमेंट की कुल स्थापित क्षमता 58 लाख टन प्रतिवर्ष है। 28 लाख टन प्रतिवर्ष उत्पादन क्षमता वाली इकाई पिछले साल ही मध्य प्रदेश के मैहर में शुरू की गई है। कंपनी की अन्य यूनिट कुंडागंज (उत्तर प्रदेश) और बूटीबूरी (महाराष्ट्र) में हैं। कंपनी के पास लाइमस्टोर की खुदाई के लिए मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान में माइनिंग लीज भी है। रिलायंस सीमेंट की बिक्री उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल सहित महाराष्ट्र के कुछ चुनिंदा शहरों में की जाती है।
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