नई दिल्ली: नए ऑर्डर में कमी आने के चलते अगस्त में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि धीमी रही जिससे कंपनियों को कीमतें घटाने को बाध्य होना पड़ा। एक कारोबारी सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है जिससे सभी की नजरें ब्याज दर में कटौती को लेकर RBI पर लगी हैं।
निक्केई इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई- विनिर्माण क्षेत्र के निष्पादन का एक समग्र मासिक संकेतक अगस्त में 52.3 रहा जो जुलाई के छह माह के उच्च स्तर 52.7 से नीचे है। इससे संकेत मिलता है कि विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि की गति धीमी हुई है।
आंकड़े 50 से उपर रहने का अर्थ विस्तार से है, जबकि 50 से नीचे का स्तर संकुचन दर्शाता है। पीएमआई के मुताबिक तैयार माल के स्टॉक में कमी और लिवाली स्तरों में तेज वृद्धि से हालांकि संकेत मिलता है कि आगामी महीनों में उत्पादन की वृद्धि में तेजी आ सकती है।
सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार करने वाली संस्था मार्किट की अर्थशास्त्री पॉलीयाना डे लिमा ने कहा, घरेलू और विदेशी मांग में सुधार मामूली रहने से अगस्त में भारतीय विनिर्माण क्षेत्र में उत्पादन कमजोर रहा है। मुद्रास्फीति के बारे में सर्वेक्षण में कहा गया कि वैश्विक स्तर पर जिंसों के दाम में गिरावट के चलते लागत बोझ में कमी आई है जिससे कंपनियों को कीमत घटाने की अधिक गुंजाइश मिलेगी।