नई दिल्ली: प्याज की कीमतें उपभोक्ताओं की पहुंच से बाहर होती जा रही है और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इसका भाव आज 80 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गया। सरकार की ओर से कीमतों को अंकुश में रखने के कदमों के बावजूद बाजार में आपूर्ति कम होने से कीमतें उछाल पर हैं। आजादपुर थोक बिक्री मंडी में भाव तेज होने के बाद दिल्ली में प्याज का खुदरा बाजार भी उछल गया आजादपुर मंडी में प्याज 48 रुपए तक पहुंच गई है। आजादपुर मंडी समिति के सदस्य राजेन्द्र शर्मा ने कहा, आगे, नई फसल के आने में देर के कारण प्याज कीमतों में और तेजी आने की उम्मीद है। तेजी का यह रख कुछ सप्ताह तक जारी रहने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि दिल्ली की मंडियों में प्याज की दरें मजबूत हैं क्योंकि महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में प्याज महंगा हो गया है। गुणवत्ता (क्वालिटी) के आधार पर दिल्ली में खुदरा कीमतें 70 रुपए से 80 रुपए प्रति किलो के दायरे में हैं।
शर्मा ने कहा कि उक्त राज्यों में प्याज का स्टॉक है लेकिन इनके भाव काफी अधिक हैं। उदाहरण के लिए प्याज की सुस्त आपूर्ति के कारण एशिया में प्याज की सबसे बड़ी मंडी महाराष्ट्र के लासालगांव में प्याज की थोक बिक्री कीमत बढ़कर 43 रुपए प्रति किलो हो गई जो इस वर्ष का अधिकतम स्तर है। शर्मा ने कहा कि बढ़ते थोक बिक्री मूल्य का प्रभाव खुदरा बाजार में परिलक्षित हो रहा है जो सामान्यतया असंगठित है। कालीबाड़ी मंदिर के पास केवल प्याज और आलू बेचने वाले विक्रेता मंटू ने कहा, पिछले सप्ताह में 50-60 रुपए प्रति किलो की दर से प्याज बेच रहा था लेकिन आज मैं 70-80 रुपए की दर से इसे बेच रहा हूं क्योंकि विगत दो दिनों में थोक बिक्री कीमत में काफी तेजी आई है।
उसने कहा, मैंने आजादपुर की थोक मंडी से 60-65 रुपए प्रति किलो की दर से प्याज खरीदा और 10 रुपए के लाभ के साथ इसकी खुदरा बिक्री कर रहा हूं। दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के अन्य भागों में कीमत में इसी तरह की वृद्धि देखी जा रही है। इस बीच केन्द्रीय लघु कृषक कृषि व्यवसाय संघ (एसएफएसी), जिसने मूल्य स्थिरीकरण कोष के तहत 7,000 से 8,000 टन प्याज खरीदा है, मदर डेयरी के सफल बिक्री केन्द्र के साथ साथ दिल्ली मिल्क स्कीम (डीएमएस) के 100 बूथों के जरिए प्याज की बिक्री कर रही है। सहकारिता संस्था नाफेड ने भी दिल्ली सरकार को 2,500 टन प्याज की आपूर्ति की है जो राजधानी के 280 स्थानों पर 30 रुपए प्रति किलो की सब्सिडी प्राप्त दर पर प्याज बेच रही है। इस बीच नाफेड ने 10,000 टन प्याज के आयात के लिए फिर से निविदा जारी की है जिसके अगले माह तक आने की उम्मीद है।
उत्पादन में गिरावट तथा प्याज का मौसम न होने के दौरान (जुलाई से सितंबर) आपूर्ति के लिए रखे गए प्याज की सुस्त आपूर्ति के कारण प्याज की कीमतों में तेजी आ रही है। जुलाई से जून के फसल वर्ष 2014-15 के दौरान प्याज का कुल उत्पादन 189 लाख टन रहने का अनुमान है जो पिछले वर्ष के 194 लाख टन के उत्पादन से थोड़ा ही कम है। देश में प्याज के शीर्ष उत्पादक राज्यों में महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य प्रदेश शामिल हैं।