नई दिल्ली: समान रैंक समान पेंशन (OROP) का देश की राजकोषीय स्थिति पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ेगा और चालू वित्त वर्ष में इस पर कुल लागत करीब 16,000 करोड़ रुपए आएगी। HSBC की रिपोर्ट में यह बात कही गई है। सरकार ने सेवानिवृत्त सैन्यकर्मयियों की OROP मांग को स्वीकार कर लिया है। HSBC ने एक शोध रिपोर्ट में कहा है, इसका मतलब है कि मौजूदा पेंशन भुगतान में वृद्धि के साथ जुलाई 2014 से बकाये का भुगतान। इसका राजकोषीय स्थिति पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ेगा। हमारा अनुमान है कि इस पर वित्त वर्ष 2015-16 में 16,000 करोड़ रुपए 2.5 अरब डॉलर या GDP का 0.1 प्रतिशत का खर्च आएगा।
वैश्विक ब्रोकरेज कंपनी के अनुसार मौजूदा रक्षा पेंशन मद में 10,000 करोड़ रुपए की वृद्धि का अनुमान है जबकि 12,000 करोड़ रुपए का बकाया अगले दो साल में दिया जाएगा। HSBC की भारत में मुख्य अर्थशास्त्री प्रांजल भंडारी ने कहा, कुल मिलाकर हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2015-16 में इसका राजकोषीय प्रभाव 16,000 करोड़ रुपए होगा। राजकोषीय मोर्चे पर दूसरा दबाव बैकों में अगले चार साल में 70,000 करोड़ रुपए की पूंजी डाले जाने की घोषणा का होगा। इसमें 25,000 करोड़ रुपए चालू वित्त वर्ष में डाले जाएंगे।
वहीं दूसरी तरफ विनिवेश विभाग ने 69,500 करोड़ रुपए का लक्ष्य रखा है जिसके पूरी होने की संभावना कम है।