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ग्रीस डिफॉल्ट: उल्टी गिनती शुरु होती है अब

ग्रीस दिवालिया हो गया। ये चार शब्द पढ़ने, सुनने और लिखने में जितने आसान लग रहे हैं, इसके आर्थिक और राजनीतिक परिणाम उतने ही जटिल हैं। बुधवार की सुबह एथेंस में जब ग्रीस ने अंतरराष्ट्रीय

Shubham Shankdhar
Updated : July 01, 2015 16:10 IST
ग्रीस डिफॉल्ट - एथेंस...
ग्रीस डिफॉल्ट - एथेंस के चौराहे पर ग्रीस के 4 रास्ते

ग्रीस दिवालिया हो गया। ये चार शब्द पढ़ने, सुनने और लिखने में जितने आसान लग रहे हैं, इसके आर्थिक और राजनीतिक परिणाम उतने ही जटिल हैं। बुधवार की सुबह एथेंस में जब ग्रीस ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के 1700 करोड़ डॉलर की किस्त अदा करने में असमर्थता जताई तो इतिहास यह दर्ज कर रहा था कि IMF का भुगतान न करके डिफाल्ट करने वाला ग्रीस पहला विकसित देश है।

दिवालिया होने के बाद ग्रीस तब तक IMF से कोई नया कर्ज नहीं ले पाएगा जब तक पुराने कर्ज की अदायगी नहीं कर देगा। सीधी भाषा में समझें तो IMF के दरबार में ग्रीस की एंट्री बंद।

उल्टी गिनती शुरु होती है अब!

जून गई-जुलाई की शुरुआत हो गई, ग्रीस दिवालिया हो गया, कर्ज मिलने का एक दरवाजा बंद हो गया। इतना होने के बाद क्या मान लें कि ग्रीस में बुरे दिन अब छटने लगेंगे। हरगिज नहीं! बल्कि कहिए अब तो उल्टी गिनती शुरु हुई है। जुलाई और अगस्त के महीने में ग्रीस को IMF और ECB  का 10.33 अरब यूरो का कर्ज और चुकाना है। तय समय पर आने वाली किस्तों का भुगतान न कर पाना ग्रीस के अर्थव्यवस्था में छेद से पैयबंद और इसके बाद बड़े होल की तैयारी है।

एथेंस के चौराहे पर ग्रीस के 4 रास्ते

5 जुलाई को ग्रीस में होने वाले जनमत संग्रह के बाद यह तय होगा की ग्रीस यूरो जोन में बना रहेगा या नहीं। अगर उस दिन ग्रीस संकट का कोई ठोस हल नहीं निकलता है, तो उसका सीधा असर दुनिया के ट्रेड पर पड़ेगा। इसके बाद दुनियाभर के बाजारों में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। फिर चाहे वह सोना-चांदी हो, बेसमेटल्स हो, शेयर बाजार हो या कच्चा तेल।

ग्रीस के सामने हैं ये चार रास्ते

एक

ग्रीस दिवालिया हो यूरोजोन से अलग हो जाए। यूरो को छोड़ अपनी पुरानी मुद्रा ड्राचमा को अपना ले। लेकिन ऐसा होने पर यूरोपीय बैंक और अन्य यूरोपीय देशों का अर्थशास्त्र डोलने लगेगा। साइप्रस, इटली समेत तमाम देशों के बैंकों का अस्तित्व भी खतरे में पड़ सकता है। यह कदम मंदी से आंखमिचौली खेलते यूरोप को खाई में धक्का दे सकता है। हालांकि दिवालिया होने के बाद भी फिलहाल ऐसा कोई कानून नहीं, जिससे ग्रीस को यूरोजोन से बाहर किया जा सके।    

दो

नए टैक्स लगाना, सरकारी वेतन भत्तों में कटौती, जीडीपी पर पेंशन का बोझ कम करना, टैक्स चोरी पर शिकंजा कसना ये तमाम ऐसे मुद्दे हैं जिन पर पिछले दिनों में ग्रीस की सिरीजा सरकार और कर्जदाताओं के बीच समझौतों पर सहमति नहीं बन पाई है। आने वाले दिनों में कुछ ग्रीस की सरकार हटे और कुछ कर्जदाता तो ऐसा हो सकता है कि सहमति बन जाए। इससे निश्चित तौर पर ग्रीस को राहत की सांस मिलेगा। लेकिन लोकलुभावन वादे कर सत्ता में आई सिरीजा सरकार इससे लिए कितने प्रयास करेगी इस पर संदेह है।    

तीन

कर्ज लौटाने की समयसीमा और बढ़ा दी जाए। इससे फौरी तौर पर ग्रीस को जरूर राहत मिलेगी। लेकिन चोट जितनी पुरानी होती चाएगी उसके नासूर बनने का खतरा उतना ही पुख्ता होता जाएगा।

चार

डिफाल्ट होने के बाद ग्रीस को पिछला कर्ज न चुकाने तक यूपोपीय सेंट्रल बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से नकदी निकालने और कर्ज देने पर पाबंदी लगा दी जाए। ऐसे में भले ग्रीस को शर्तों के साथ यूरोजोन का हिस्सा बनाए रखा जाए, लेकिन उसे अपने हाल पर छोड़ देना पड़ेगा। इससे निश्चित तौर पर अंतरराष्ट्रीय मंच पर यूरोजोन की साख को भारी बट्टा लगेगा। लगेगा साथ ही यूरोप के बैंक स्ट्रेस टेस्ट में भी फेल होते दिखेंगे।

अगली स्लाइड में पढ़े ग्रीस के संकट का भारत पर पड़ेगा कितना असर...

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