नई दिल्ली: महज दो मिनट में तैयार होने वाली मैगी की मुश्किलें तब बढ़ गई जब उत्तर प्रदेश फूड ऐंड ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन ने मैगी के कुछ और सैंपल की जांच के सख्त आदेश दिए गए। आपको बता दें कि जाना पहचाना नाम बन चुकी मैगी के इनग्रेडियेंट्स में लेड और मोनोसोडियम ग्लूटामेट मिलने की बातें सामने आई थी जिसके कारण इसे बाजार से हटा लेने के सख्त निर्देश दिए गए थे।
हाल ही में नेस्ले ने प्रेस रिलीज जारी कर इन बातें को अफवाह करार दिया है। प्रेस रिलीज के मुताबिक नेस्ले की प्राथमिकता अपने कन्जूमर्स की सेहत है जिसके साथ वह किसी भी तरह का समझौता नहीं करते। मैगी को बाजार के हटाने के आदेश को भी गलत ठहराया गया है। सभी क्वालिटी परिक्षण किये गए है और कंपनी ने दावा किया है कि मोनोसोडियम ग्लूटामेट का इस्तेमाल नहीं किया जाता। स्वतंत्र मान्यता प्राप्त लैब्स को सैंपल्स सौंप दिए गए है। जिसके नतीजे जल्द ही अधिकारियों को दे दी जाएगी। लेड के इस्तेमाल की हातों पर कंपनी का कहना है कि जसका इस्तेमाल सीमित मात्रा में किया जाता है।
यूपी-एफडीए ने अपनी जांच के दौरान मैगी में लेड की मात्रा खतरनाक स्तर पर पाई थी। इसी कारण उसने मैगी को बाजार से हटाने का आदेश दे दिए थे। वहीं दूसरी तरफ नेस्ले ने इस मामले को चुनौती देने की तैयारी शुरू कर दी है। जानकारी के मुताबिक मैगी के इनग्रेडियेंट्स में पाए गए लेड और मोनोसोडियम ग्लूटामेट से लोगों को सिर दर्द और सीने में जलन जैसी शिकायतें सामने आ रही थी।
जनवरी 2015 की फ्रेंच बैकिंग एण्ड फाइनैनशन्ल सर्विसिज फर्म, सोसाइटी जनरल की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में खाने की चीज़ों में Maggi को मिलाकर नेस्ले की 30% हिस्सेदारी है जो कि दूध के उत्पादों के बाद दूसरी सबसे बड़ी हिस्सेदारी है।
नोमूरा रिपोर्ट के मुताबिक इंस्टेंट नूडल की श्रोणी में Maggiका बाजार में मौजूदा शेयर 80.2% है।