मुंबई: निवेशकों के हितों की रक्षा और उन्हें अधिकतम रिटर्न दिलाने के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) म्यूचुअल फंडों के लिए नियम सख्त करने जा रहा है। नियामक म्यूचुअल फंडों से निवेश की लागत को घटाने और जोखिम वाली संपत्तियों के प्रति अधिक सतर्कता बरतने को कहेगा। इसके साथ ही नियामक चाहता है कि म्यूचुअल फंड कंपनियां अपनी पारदर्शी व्यवस्था में सुधार करें और निवेशकों के लिए इसे सुगम करने की भी कोशिश करें।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि म्यूचुअल फंड पर सेबी की सलाहकार समिति द्वारा इस बारे में कई प्रस्तावों पर विचार किया जा रहा है। समिति की सिफारिशों के आधार पर नियामक इस बारे में जल्द अंतिम फैसला करेगा। ये प्रस्ताव इस दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं कि हाल में छोटी म्यूचुअल फंड कंपनियों के संकट वाली रिण प्रतिभूतियों में निवेश से एक बड़ा संकट खड़ा हो गया था। सूत्रों ने बताया कि सेबी के चेयरमैन यू के सिन्हा ने एसोसिएशन आफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया की सालाना आम बैठक के दौरान म्यूचुअल फंड मुख्य कार्यकारियों से इस मुद्दे पर कुछ खरी-खरी कही थी।
सिन्हा इस बात को लेकर गंभीर हैं कि छोटे निवेशकों के पूंजी बाजार में निवेश के लिए म्यूचुअल फंड निवेश एक तरजीही मार्ग हो। हालांकि, यह माना गया कि निवेश की ऊंची लागत इसके रास्ते की प्रमुख अड़चन है। कुछ ने एजेंटों के ऊंचे कमीशन को इस समस्या की वजह बताया। अधिकारी ने कहा कि एक अन्य विचार यह था कि बड़े कोष घराने जिनमें बड़ी म्यूचुअल फंड कंपनियां शामिल हैं मुख्य रूप से कारपोरेट या उच्च संपदा वाले निवेशकों पर ध्यान केंद्रित करती हैं। उनकी सोच में प्रणालीगत बदलाव लाने की जरूरत है जिससे अधिक छोटे निवेश्कों को इस निवेश में आकर्षित किया जा सके।
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