नई दिल्ली: विमानन कंपनी एयर इंडिया ड्रीमलाइनर के 120 में 30 वरिष्ठ बोइंग 787 ड्रीमलाइनर पायलटों ने सार्वजनिक क्षेत्र की इस विमानन कंपनी को छोड़ने की योजना बना रहे हैं। इनमें से कई निजी विमानन कंपनियों में जाने को इच्छुक हैं, जहां सेवा शर्तें बेहतर हैं।यह मुद्दा ऐसे समय सामने आया है जब पायलटों के पलायन को रोकने पर विचार किया जा रहा है और एयर इंडिया पांच साल के भीतर पायलट के छोड़ने पर प्रशिक्षण लागत वसूलने के लिए पहले ही व्यवस्था कर चुकी है। एयर इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ड्रीमलाइनर बेड़े के 20 से अधिक पायलटों ने नौकरी छोड़ने के बारे में इरादा जताया है और उनमें से कुछ पहले ही नोटिस दे चुके हैं।
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि एयर इंडिया ने पायलटों के नोटिसों को अब तक स्वीकार नहीं किया है। कई पायलट निजी विमानन कंपनी से जुड़ने पर विचार कर रहे हैं, जहां सेवा शर्ते बेहतर हैं।
एयर इंडिया के पास फिलहाल 21 ड्रीमलाइनर हैं और उसने अब तक 250 पायलटों को प्रशिक्षित किया है ताकि वे इन विमानों का परिचालन कर सके। एयर इंडिया उन प्रत्येक पायलट के प्रशिक्षण पर 25 से 60 लाख रुपए खर्च करती है जो 787-8 विमानों का परिचालन करते हैं। पायलटों के इस्तीफे के बाद एयर इंडिया के सामने मानव संसाधन की चुनौती खड़ी हो गई है। माना जा रहा था कि इन पायलटों के पास जितना अनुभव है उससे आधे के अनुभव में किसी भी प्राइवेट एयरलाइंस में कैप्टन बना जा सकता है। सूत्रों की माने तो अब सरकार और संबंद्ध विभाग पायलटों के इस्तीफे पर कार्रवाई करते हुए उनके लाइसेंस रद्द करने पर विचार कर रहा है।