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नीतिगत सुधार का एजेंडा लागू होने पर भारत की रेटिंग में सुधार संभव: मूडीज

नई दिल्ली: मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने आज कहा कि यदि भारत सरकार सुधार का एजेंडा लागू करती है और अगले साल मुद्रास्फीति जैसे प्रमुख वृहत्-आर्थिक संकेतक नियंत्रण में रहते हैं तो देश की साख में

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Published on: August 25, 2015 16:36 IST
मूडीज इन्वेस्टर्स...- India TV Hindi
मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने कहा भारत की रेटिंग में सुधार संभव

नई दिल्ली: मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने आज कहा कि यदि भारत सरकार सुधार का एजेंडा लागू करती है और अगले साल मुद्रास्फीति जैसे प्रमुख वृहत्-आर्थिक संकेतक नियंत्रण में रहते हैं तो देश की साख में सुधार हो सकता है।  साख निर्धारण एजेंसी ने कहा यदि मूडीज की उम्मीद के अनुरूप धीरे-धीरे लेकिन साख अनुकूल सुधार वास्तविक नीतिगत कार्यान्वयन में तब्दील होता है और यदि मुद्रास्फीति, राजकोषीय एवं चालू खाते के अनुपात में हालिया सुधार बरकरार रहता है तो भारत की रेटिंग सुधारी जा सकती है।

मूडीज ने भारत के लिए सकारात्मक परिदृश्य के साथ बीएए3 की रेटिंग प्रदान की थी। मूडीज ने 2004 से भारत के लिए बीएए3 की रेटिंग निर्धारित की  है जो कबाड़ (जंक) के दर्जे से एक पायदान ही उपर है।  मूडीज ने भारत सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा नीतिगत प्रगति और अगले साल वृहत्-आर्थिक संकेतक उम्मीद से बेहतर रहते हैं और हमारे विचार से यह प्रगति वहनीय रहती है तो रेटिंग सुधारी जा सकती है। रिपोर्ट में कहा गया कि सकारात्मक परिदृश्य नीतिगत कार्यान्वयन की उम्मीद पर निर्भर है जो मुद्रास्फीति के स्थिरीकरण, नियामकीय माहौल में सुधार, राजकोषीय अनुपात में मौजूदा सुधार को बरकरार रखते हुए बुनियादी ढांचा निवेश में बढ़ोतरी कर सावरेन साख के जोखिम को कम कर सकता है।

मूडीज ने हालांकि आगाह किया कि यदि नीतिगत सुधार की प्रक्रिया में बदलाव या इसकी गति धीमी होती है या बैंकिंग प्रणाली के पैमाने लगातार कमजोर होते हैं या फिर वाह्य रिण और आयात से जुड़ा विदेशी मुद्रा भंडार का दायरा कम होता है तो रेटिंग का परिदृश्य फिर से स्थिर हो सकता है।

मूडीज ने कहा कि कच्चे तेल की कीमत और सख्त राजकोषीय एवं मौद्रिक नीतियों से वृहत्-आर्थिक संतुलन बहाल करने में मदद मिली है। रिपोर्ट में कहा गया जिंस आयातक के तौर पर भारत को जिंस मूल्य में कमी के माहौल से फायदा हुआ है और सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि के लिए देश की घरेलू मांग पर निर्भरता,  अर्थव्यवस्था को वैश्विक वृद्धि के नरम रझान से भी बचाता है।

रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि इस साल भारत की वृद्धि दर सात प्रतिशत रहेगी और इसके बावजूद यह अपने समकक्ष देशों को पार कर सकता है जैसा कि इसने पिछले दशक में किया है।  मूडीज ने कहा कि सख्त नीतियों का परिणाम यह है कि सकल घरेलू उत्पाद और निवेश वृद्धि दशक भर पहले दर्ज उच्चतम स्तर से नीचे रह सकते हैं।  रिपोर्ट में कहा गया सरकार की निजी निवेश, विशेष तौर पर विनिर्माण में सुधार की कोशिश की सतत वृद्धि बहाल करने में प्रमुख भूमिका होगी।

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