मुंबई: बाजार विश्लेषकों का मानना है कि सरकार की विनिवेश प्रक्रिया, मानसून का आगमन, खाद्यान्नों की कीमतों में नरमी और आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती के संकेतों से आगामी दिनों में भारतीय शेयर बाजारों की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका होगी। जायफिन एडवाइजर्स के मुख्य कार्यकारी निदेशक देवेंद्र नेवगी ने कहा, "ग्रीस संकट और संसद सत्र समाप्त हो गया है। अब बाजार अधिक अस्थिर होगा और अपनी चाल के लिए यह अंतर्राष्ट्रीय संकेतों पर निर्भर होगा।"
नेवगी के मुताबिक, "अमेरिका और जर्मनी के उच्च बॉन्ड यील्ड में कमी आई है। ग्रीस समय पर अपने बकाए का भुगतान कर सकता है। यहां तक कि अंतर्राष्ट्रीय खाद्यान्न कीमतों में भी स्थिरता दिख रही है और इन सभी कारकों से भारतीय शेयर बाजार को मदद मिलेगी।"
"जबकि चीन, दक्षिण अफ्रीका और रूस जैसी अन्य बड़ी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में भी आकर्षक विकल्प दिखाई दे रहे हैं। पिछले दो सप्ताह में भारतीय बाजारों में गिरावट से छोटी-मध्यम अवधि में निवेशकों की संख्या बढ़ेगी।"
कोटक सिक्युरिटीज के निजी ग्राहक समूह अनुसंधान के प्रमुख दीपेन शाह ने कहा, "नकारात्मक वैश्विक संकेतों का जोखिम अभी भी बना हुआ है, क्योंकि ग्रीस की आर्थिक स्थिति जस की तस है। चीन और रूस के बाजारों का विकास और खाद्यान्न कीमतों में तेजी की समस्या बनी हुई है।"
शाह ने कहा, "यदि ग्रीस की स्थिति बिगड़ती है तो बॉन्ड यील्ड में तेजी आएगी। इससे रुपया आगे चलकर कमजोर हो सकता है और एक बार फिर बाजार में नीचे की ओर रुझान शुरू हो सकता है।" अमेरिका का बॉन्ड यील्ड पिछले सप्ताह 2.24 प्रतिशत बढ़ गया था। जर्मनी के यील्ड में 80 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
नेशनल सिक्युरिटीज डिपॉजिटरी लि. (एनएसडीएल) के आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय शेयर बाजारों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने शुद्ध बिकवाली की है। इन्होंने 15 मई को समाप्त सप्ताह में 28.902 करोड़ डॉलर यानी 1,854.25 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। जियोजिट बीएनपी पारिबास फाइनेंशियल सर्विसिस के अनुसंधान प्रमुख एलेक्स मैथ्यूज ने कहा कि कई घरेलू निवेशक इंडियन ऑयल और एनटीपीसी में सरकार के विनिवेश का इंतजार कर रहे हैं।