नई दिल्ली: बाहुबली ने अपना बल महज 3 दिनों में 165 करोड़ रुपए कमाकर बॉक्स ऑफिस को दिखा दिया। इससे पहले तनु वेड्स मुन साल की पहली ऐसी फिल्म थी जो 100 करोड़ के क्लब में शामिल हुई। आने वाले दिनों में बजरंगी भाईजान समेत तमाम ऐसी फिल्में हैं जिनका इन करोड़ों के क्लब में शामिल होना तय है।
जरा सोचिए, चंद दिनों में करोड़ों रुपए कमाने वाली ये फिल्में क्या कुछ ही लोगों के लिए ही मोटी कमाई का साधन हैं या देश की तरक्की में भी इनका कोई योगदान है? क्या मल्टी करोड़ ये फिल्में देश का मनोरंजन मात्र ही कर रही हैं या देश के विकास में भी इनका कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई योगदान है। इस सवालों का जबाव ढूंढना तब और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है, जब पता चले कि फिल्मों के निर्माण की लागत भी करोड़ों में है जो देश के ही किसी बैंक से कर्ज के तौर पर लिए गए हैं।
जवाब शुरु होता है अब
करोड़ों रुपए कमाने वाली ये फिल्में न केवल देश में करोड़ों लोगों के मनोरंजन का एक साधन हैं बल्कि देश की तरक्की में भी इन फिल्मों का अहम किरदार है। इतिहास के पन्ने पलटें तो पता चलेगा कि देश में बॉलीवुड को इंडस्ट्री का दर्जा वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के शासनकाल में दिया गया था। यह दर्जा किसी भी उद्योग के लिए बाजार से कर्ज उठाते वक्त अहम भूमिका निभाता है। सीधे शब्दों में समझें तो इंडस्ट्री का दर्जा मिलने के बाद कोई भी प्रोड्यूसर कानूनी तौर पर अपने वेंचर के लिए वित्तीय संस्थाओं या शेयर बाजार से पैसा जुटा सकता है। शुरुआती वर्षों में इस नवजात इंडस्ट्री को टैक्स हॉलि-डे यानी तमाम तरह के टैक्सों से मुक्ति दी गई। लेकिन बाद में 50 से 60 फीसदी तक टैक्स देकर ये इंडस्ट्री सीधे तौर पर देश की जीडीपी में सहयोग करने लगी।
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