स्वैप ट्रेडिंग के फायदे-
- इसमें जोखिम की आशंका कम हो जाती है।
- बाजार में उतार-चढ़ाव के बाद भी मुनाफे की संभावना रहती है।
- जोखिम कम होने से कारोबारियों को ब्रोकर्स से अच्छे मार्जिन मिल जाते हैं, जिनसे वह ज्यादा सौदे बना पाता है।
- स्वैप रेश्यों के जरिए ट्रेडिंग से एक्सचेंज पर ज्यादा वाल्यूम जनरेट होते हैं जिससे एक दिनी सौदे करने वाले ट्रेडर्स को सौदे बनाने के ज्यादा मौके मिलते हैं।
इन कमोडिटी के बीच स्वैप होगा फायदेमंद
सोना और चांदी- अर्थव्यवस्था में सुधार से सोने की डिमांड घटती है जबकि चांदी की मांग बढ़ जाती है।
सोना और क्रूड- कच्चे तेल की मांग अर्थव्यवस्था में रिकवरी से साथ ही बढ़ती है और सोने की डिमांड घट जाती है।
सोना और कॉपर- इकोनॉमी में रिकवरी कॉपर के लिए सकारात्मक संकेत होता है। कॉपर का इस्तेमाल आम तौर पर ऑटो, कंस्ट्रक्शन समेत तमाम इंडस्ट्री में होता है।
क्रूड और गैस- नैचुरल गैस कच्चे तेल के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल की जाती है। आपको बता दें कि कच्चे तेल के स्टॉक में कमी गैस के स्टॉक को बढ़ाता है।
स्वैप बनाने में ‘कोट’ का गणित
स्वैप बनाने का सही समय जानने के लिए दो कमोडिटी के बीच ‘कोट’ निकालना पड़ता है। पिछले कुछ महीनों के कोट निकाल कर कारोबारी दो कमोडिटी के कोट का ऊपरी और निचला स्तर तय करते हैं और वर्तमान कोट से यह पता लगाते हैं कि इसके ऊपर या नीचे किस ओर जाने की संभावना ज्यादा है।
जैसे
Gold/Silver के बीच स्वैप का कोट ऐसे निकालें
सोने की कीमत / चांदी की कीमत x 100
सोने की मौजूदा कीमत - 28150
चांदी की मौजूदा कीमत - 43444
यानी 28150 / 43444 x 100 = 64.79
ऐसे ही पिछले महीनों के आंकड़ों पर हर महीने का स्वैप निकाला जाता है। मौजूदा स्वैप अगर ऊपरी स्तर के करीब है तो मंदी के सौदे बनाने में फायदा है जबकि अगर स्वैप की मौजूदा कीमत निचले स्तर के आस-पास है तो स्वैप में खरीददारी करके फायदा उठाना चाहिए।